एकादशी तिथि को लेकर भ्रमित नहीं हों, विवेक से निर्णय करे

* जया एकादशी - शनिवार, 8 फरवरी 2025
* पारण का समय - 07:09 से 09:24, 9 फरवरी 2025
* पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 19:25
* एकादशी तिथि प्रारम्भ - 7 फरवरी 2025 को 21:26 बजे
* एकादशी तिथि समाप्त - 8 फरवरी 2025 को 20:15 बजे
तिथि को लेकर अक्सर लोग परेशान हो जाते हैं क्योंकि एक तो तिथि शुरू होने और समाप्त होने का कोई निश्चित समय नहीं होता है, तो दूसरा तिथियों में कमी-बढ़ोतरी होती रहती हैं।
कौन सी तिथि मानी जाए, खासकर व्रत-त्योहार को लेकर, इस पर मतैक्य नहीं रहता है।
देश में कम-से-कम दो अलग तरह के पंचांग प्रचलन में हैं जिनमें महीने के सापेक्ष एक पक्ष तो कॉमन रहता है लेकिन दूसरे पक्ष का महीना अलग-अलग रहता है। एक पंचांग का महीना अमावस समाप्त होने के बाद शुरू होता है तो दूसरे पंचांग का वही महीना पूर्णिमा समाप्त होने के बाद शुरू होता है।
तिथियों में, कोई सूर्योदय के समय जो तिथि प्रभावी हो उसे मानता है तो कोई दिनभर में जो तिथि प्रभावी हो उसे मानता है।
कौन सी तिथि पर व्रत पूजा की जाए? इसे लेकर विवेक से कार्य करना बेहतर है।
प्रदोष जैसे व्रत में, जहां रात्रि के समय का महत्व है, के लिए प्रदोष काल की प्रभावी तिथि को महत्व दिया जाना चाहिए तो दिन में की जाने वाली पूजा के लिए दिन में प्रभावी तिथि को महत्व देना चाहिए।
तिथियों की समय की गणित के चलते कई बार एकादशी व्रत दो दिन तक चलता है।
तिथि का मूल उद्देश्य उस व्रत-पूजा काल की गणना के सापेक्ष कार्य करना है, इसलिए तिथि को लेकर ज्यादा भ्रम नहीं पालें, सच्चे मन से किए गए व्रत-पूजन में तिथि-अंश भी मिल जाए तो व्रत-पूजा सार्थक है।
वैसे तिथि निर्धारण में स्थानीय धर्मगुरु और कुल परंपराओं के अनुरूप निर्णय लेना उत्तम रहता है।
कामयाबी के लिए नियमित रूप से विष्णुदेव की पूजा करें-
अच्युतम केशवम रामनारायणम, कृष्ण दामोदरम् वासुदेवम् हरे।
श्रीधरम् माधवम् गोपिकावल्लभम, जानकी नायकम श्रीरामचन्द्रम् भजे।।
* प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर

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