निर्जला एकादशी के दिन बिलकुल भी न करें ये काम, घर में आती है दरिद्रता

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्री हरि की उपासना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साल में 24 एकादशी आती हैं, जिसमें निर्जला एकादशी का व्रत सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। कहते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत 24 एकादशियों का फल देती हैं। निर्जला एकादशी के व्रत में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है। कठोर नियमों के कारण सभी एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन माना जाता है।

चावल ना बनाएँ
निर्जला एकादशी के दिन घर में चावल नहीं बनाएं और ना ही चावल का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से व्रत निष्फल माना जाता है।

नमक का सेवन ना करें

निर्जला एकादशी के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से एकादशी व्रत नष्ट हो जाता है।

तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना करें

एकादशी के दिन अगर आप तामसिक भोजन करते हैं तो माता लक्ष्मी और रुष्ट हो जाएंगी और घर में दरिद्रता आना निश्चित होगा।

तुलसी का पत्ता न तोड़ें
निर्जला एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता बिल्कुल भी नहीं तोड़ना चाहिए और ना ही उस दिन तुलसी में जल अर्पण करें। माना जाता है कि उस दिन मां तुलसी भी व्रत रखती हैं।

बेड पर ना सोएं

निर्जला एकादशी के दिन बेड पर नहीं सोना चाहिए, हो सके तो जमीन पर ही सोए।

झाडू पोछा न करें
इस दिन झाड़ू पोछा करने की मनाही है, क्योंकि इससे चींटी सहित कई सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लग जाता है।

निर्जला एकादशी पर क्या करें

करें दान
निर्जला एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गोदान, जल दान, छाता दान के साथ-साथ जूता आदि का दान देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आप चाहे, तो अपनी योग्यता के अनुसार कुछ चीजों का दान कर सकते हैं।

पीपल को चढ़ाएं जल
निर्जला एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा करने के साथ-साथ जल जरूर अर्पित करें।

सुनें एकादशी व्रत कथा
निर्जला एकादशी के दिन पूजन करने के साथ-साथ एकादशी व्रत कथा अवश्य सुननी या फिर पढ़नी चाहिए। इससे आपकी पूजा पूर्ण होती है।

करें पानी के घड़ा का दान
कहा जाता है कि इस दिन साधक निर्जला व्रत रखकर किसी को पानी पीने का घड़ा दान करता है, तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन घड़ा दान करते समय इस मंत्र को बोलें

देवदेव हृषिकेश संसारार्णवतारक। उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥

लगाएं पौधे
इस दिन पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन पीपल, बरगद, नीम आदि के पेड़ अवश्य लगाएं।

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