विधि विधान से करें गणेश विसर्जन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Astrology Articles I Posted on 09-09-2022 ,07:23:28 I by:
गणेश विसर्जन, अनंत चतुर्दशी के दिन की जाने वाली पूजा है। इसके तहत भगवान गणेशजी की प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है। दरअसल लोग इस अवसर पर, अपने-अपने घरों में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा को जल में प्रवाहित करते हैं। वहीं विघ्नहर्ता की प्रतिमा को गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित करते हैं यानि गणेश विसर्जन का संबंध गणेश चतुर्थी से है।
आज 9 सितंबर, शुक्रवार को अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व के साथ बप्पा को विदाई दी जानी है। अनन्त चतुर्दशी का व्रत पूरे भारत में रखा जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार अनन्त चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुल्क पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। अनन्त चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। गणेशोत्सव जो कि दस दिन तक चलता है, वह अनन्त चतुर्दशी पर समाप्त होता है।
अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मूर्हत में विधि-विधान के साथ बप्पा का विसर्जन करने का विधान है। विसर्जन से पूर्व बप्पा की आरती की जाती है। भगवान गणेश जल तत्व के अधिपति हैं और यही कारण है कि अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणपति की पूजा-अर्चना कर गणपति-प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। शुभ योग में गणेशजी की विदाई करने से सभी कष्ट व विघ्न दूर होते हैं। लेकिन इस दौरान जरूरी है कि नियमों का ध्यान रखा जाए ताकि बप्पा की विदाई में किसी प्रकार की कोई परेशानी ना आए।
गणेश विसर्जन 2022 शुभ मुहूर्त
इस बार 09 सितंबर को गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक है। वहीं गणेश विसर्जन का दूसरा शुभ मुहूर्त 12 बजकर 18 मिनट से लेकर 01 बजकर 52 मिनट तक है। तीसरा शुभ मुहूर्त 09 सितंबर को ही शाम 05 बजे से शाम 06 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। मान्यता के अनुसार इस मुहूर्त में आप कभी भी बप्पा का विसर्जन कर सकते हैं।
गणपति विसर्जन विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में ही बप्पा की प्रतिमा का विसर्जन करें। विसर्जन करने से पहले उनकी विधि विधान से पूजा करें और उन्हें उनकी पसंदीदा चीजें अर्पित करें। गणपति उत्सव के 10 दिनों में भगवान गणेश की पूजा में जो भी भूल चूक हुई हो, उसके लिए क्षमा मांगे। इसके बाद बप्पा को अर्पित की हुई सभी चीजें एक पोटली में बांधे। साथ ही भगवान गणपति की प्रतिमा का विसर्जन किसी पवित्र नदी में करें।
ऐसे ले जाएं गणेशजी की प्रतिमा
गणेश विसर्जन से पहले ध्यान रखें कि जिस लकड़ी के पट्टे पर गणेशजी की मूर्ति को विसर्जन के लिए रखेंगे, उसको पहले गंगाजल से पूरी तरह साफ कर लें और फिर स्वास्तिक बनाकर प्रणाम करें। फिर एक साफ लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और गणपति बप्पा को जयघोष के साथ आराम से चौकी पर विराजमान करें। इस चौकी पर पान-सुपारी, मोदक दीप और पुष्प रखें। अब श्री गणेश को उनके जयघोष के साथ स्थापना वाले स्थान से उठाएं और तैयार चौकी पर विराजित करें। पाटे पर विराजित करने के बाद उनके साथ फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा और 5 मोदक भी रख दें।
ऐसे वस्त्र न पहनें
अनंत चतुर्दशी के दिन जब आप गणेशजी का विसर्जन करेंगे तो ध्यान रखें कि इस दिन नीले या काले कपड़े ना पहनें। वहीं अगर आपने पहन रखे हैं तो विसर्जन में शामिल न हों। रिद्धि सिद्धि स्वामी विघ्नहर्ता भगवान गणेश शुभ लाभ के देवता हैं और पुराणों में काले और नीले रंग के कपड़े पहनकर विसर्जन करना वर्जित बताया गया है।
इनको विसर्जन में शामिल न करें
घर से निकलने से पहले और नदी या तट पर विसर्जन करने से पहले भगवान गणेश की आरती और चरण वंदन की जाती है इसलिए ध्यान रखें कि गणेशजी की पूजा-पाठ के समय तुलसी दल और बेल पत्र ना हो। भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 21 गांठ दूर्वा की अवश्य चढ़ाएं।
गणेशजी की करें आरती
नदी, तालाब या पोखर के किनारे विसर्जन से पूर्व कपूर की आरती करें और श्री गणेश से खुशी-खुशी विदाई की कामना करें और उनसे धन, सुख, शांति, समृद्धि के साथ मनचाहे आशीर्वाद मांगे। इसके बाद गणेशजी का विसर्जन करें। लेकिन ध्यान रहे कि घर से निकलने और विसर्जन तक किसी भी तरह के अनैतिक चीजों में शामिल न हों और पूजा-पाठ में आने भी ना दें।
मूर्ति को फेंके नहीं, प्रवाहित करें
बप्पा को विसर्जित करते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि उन्हें जल में ना फेंकें बल्कि पुरे आदर-सम्मान के साथ उन्हें प्रवाहित करें। घर में यदि आप भगवान को वर्जित कर रहे हैं तो विसर्जित किए गए पानी को किसी गमले में डाल दें और आप उस गमले की अच्छी देखभाल करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि उस गमले पर पैर ना लगे या उसका अनादर ना हो।
इस तरह मनोकामना होगी पूरी
गणेश विसर्जन से पहले मनोकामना की पूर्ति के लिए आप एक भोज पत्र पर ऊपर स्वास्तिक बनाएं और नीचे गणेश मंत्र लिखें। इसके बाद सभी मनोकामनाएं और समस्याओं को भी लिख दें। इसके बाद गणेश बीज मंत्र को भोजपत्र के चारों तरफ लिख दें और फिर उसको एक रक्षा सूत्र में गणेशजी की प्रतिमा के साथ बांध दें और विसर्जन कर दें। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।