देव दीपावली आज, भगवान शिव ने किया त्रिपुरासुर का वध
Astrology Articles I Posted on 19-11-2021 ,09:48:08 I by:
देवउठनी एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन वे यमुना तट पर स्नान कर दीपावली मनाते हैं, इसीलिए इसे देव दीपावली कहते हैं। पुराणों में वर्णित हैं कि भगवान शिव ने त्रिपुरारी का अवतार लेकर त्रिपुरासुर और उसके असुर भाइयों को मार दिया था। इसी वजह से इस पूर्णिमा का अन्य नाम त्रिपुरी पूर्णिमा भी है। इसलिए, देवताओं ने राक्षसों पर भगवान शिव की विजय के लिए इस दिन दीपावली मनाई थी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में, उनके भक्त गंगा घाटों पर तेल के दीपक जलाकर देव दीपावली मनाते हैं और लोग अपने घरों को सजाकर श्री विष्णु-मां लक्ष्मी का पूजन करने उनकी विशेष कृपा प्राप्त करते हैं। इस दिन व्रत करने का भी बहुत ही महत्व है।
इस दिन कार्तिक व्रत पूर्ण होने के साथ ही कार्तिक पूर्णिमा से एक वर्ष तक पूर्णिमा व्रत का संकल्प लेकर प्रत्येक पूर्णिमा को स्नान दान आदि पवित्र कर्मों के साथ श्री सत्यनारायण कथा का श्रवण करने का अनुष्ठान भी प्रारंभ होता है। इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है।
कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस दिन कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद कार्तिक व्रत पूर्ण होते हैं। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु, शिव, हनुमानजी और छह मात्रिकाएं प्रसन्न होती हैं।
पूर्णिमा का व्रत रखने से चंद्र दोष दूर होते हैं। कुंडली में चंद्र यदि नीच का होकर अशुभ प्रभाव दे रहा है तो पूर्णिमा का व्रत रखने से यह दूर हो जाता है। जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों पर चन्द्रमा का प्रभाव गलत दिशा लेने लगता है। इस कारण पूर्णिमा व्रत का पालन रखने की सलाह दी जाती है।
इस दिन व्रत रखने से कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है और सभी देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जो लोग अकारण डरते हैं या मानसिक चिंता से ग्रसित रहते हैं उन्हें पूर्णमा का व्रत अवश्य करना चाहिए। लम्बा और प्रेम भरा वैवाहिक जीवन व्यतीत करने के लिए भी पूर्णिमा व्रत करना बहुत शुभ माना जाता है।