योग व भोग का विरोधाभास! कलरफुल और ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी एकसाथ

कई बार एक ही व्यक्ति की जन्म कुंडली में एक ही समय में दो अलग-अलग और विरोधी योग नजर आते हैं।
ऐसा कैसे हो सकता है कि एक व्यक्ति एक ही समय में करोड़ों का मालिक भी हो और ठीक से खाना भी नसीब न हो, उसके पास कई वाहन हों और पैदल चलना पड़े, उसका कपड़ों का विशाल शो रूम हो और उसके पास पहनने का दो जोड़ी कपड़े भी न हों, लेकिन कई बार ऐसा होता है।
जन्म कुंडली में धन वैभव का योग तो हो पर उसका भोग नसीब में नहीं लिखा हो तो व्यक्ति की स्थिति कुए के पास प्यासे वाली बनती है।
उदाहरण के लिए कोई करोड़पति किसी अपराध में जेल चला जाए तो ऐसी ही तस्वीर उभरेगी। उसके पास दौलत कितनी ही हो, खानी होगी जेल की जली रोटियां। घर में दर्जनों कपड़े हों, पहनने होंगे जेल के कपड़े। बंगले पर ऐसी हो, राते कटेगी मच्छरों के बीच। सुख के लिए जन्म कुंडली में मात्र योग होना पर्याप्त नहीं है, उसे भोगने की स्थिति भी होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो व्यक्ति को मान-अपमान, सुख-दुख, पीड़ा-प्रसन्नता, लाभ-हानि, यश-अपयश, हार-जीत जैसी विरोधाभासी स्थितियां एक साथ देखनी पड़ सकती हैं।
इसलिए किसी की जन्म कुण्डली में विरोधाभासी योग हों तो भ्रमित नहीं होना चाहिए कि सब कुछ एक साथ कैसे घटित होगा। इस सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए!     
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)


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