माघ माह में किया गया दान-पुण्य होता है फलदायी, स्नान का है अलग महत्त्व

हर दिन सभी देवी-देवता की पूजा की जाती है लेकिन माघ के महीने में कुछ विशेष देवी-देवता की पूजा की जाती है जिससे अधिक लाभ मिलता है। बीती 18 जनवरी से माघ माह चल रहा है। इस माह को धर्म ग्रन्थों में पूजा-पाठ के लिए बहुत अधिक महत्त्व दिया गया है। कहा जाता है कि इस महीने में किया गया दान-पुण्य अत्यधिक फलदायी होता है। कार्तिक माह के स्नान की तरह ही इस माह के स्नान का भी विशेष महत्त्व है। इस महीने में दान, पुण्य, स्नान और सत्संग का महत्व होता है।

आइए डालते हैं एक नजर उन देवी-देवताओं पर जिनकी पूजा इस माह विशेष रूप से की जाती है...

गंगा पूजा

माघ माह में गंगा पूजा और गंगा नदी में स्नान का महत्व सबसे ज्यादा माना गया है। पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए।

गणेश पूजा
माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य सम्पन्न होते हैं तथा भगवान श्रीगणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं। इस दिन गणेश कथा सुनने अथवा पढऩे का विशेष महत्व माना गया है। व्रत करने वालों को इस दिन यह कथा अवश्य पढऩी चाहिए। तभी व्रत का सम्पूर्ण फल मिलता है।

श्रीहरि विष्णु
इस माह में विशेषकर भगवान विष्णु की पूजा होती है। श्रीहरि विष्णु की पूजा माता लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए। मान्यता है कि माघ माह में देवता धरती पर आकर मनुष्य रूप धारण करते हैं और प्रयाग में स्नान करने के साथ ही दान और जप करते हैं। इसीलिए प्रयाग में स्नान का खास महत्व है।

सूर्यदेव
माघ माह में सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं। इस माह में रथसप्तमी का त्योहार भी मनाया जाता है जिसमें सूर्यदेव की पूजा होती है। माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी इत्यादि नामों से जानी जाती है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है। इनकी उपासना से रोग मुक्ति आसान हो जाती है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है।

पितृदेव पूजा
इस माह में पितरों के निमित्त तर्पण करने का महत्व बताया गया है। पितरों के देव अर्यमा की पूजा खासतौर पर की जाती है। माघ कृष्ण द्वादशी को यम ने तिलों का निर्माण किया और दशरथ ने उन्हें पृथ्वी पर लाकर खेतों में बोया था। अतएव मनुष्यों को उस दिन उपवास रखकर तिलों का दान कर तिलों को ही खाना चाहिए। साथ ही यमदेव की पूजा भी करनी चाहिए।

आलेख में दी गई जानकारियों को लेकर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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