वास्तुशास्त्र के अनुसार करें सीढि़यों का निर्माण, धन-संपत्ति में होगी कोई कमी
Astrology Articles I Posted on 06-07-2021 ,08:39:01 I by:
वास्तु में सीढिय़ों का विशेष महत्व है, भवन के दक्षिण-पश्चिम यानि कि नैऋत्य कोण में सीढिय़ां बनाना वास्तु की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है। सीढिय़ां बनाते वक्त किसी भी इमारत या भवन में यदि वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन किया जाए तो उस स्थान पर रहने वाले सदस्यों के लिए यह कामयाबी एवं सफलता की सीढिय़ां बन सकती है।
भवन के दक्षिण-पश्चिम यानि कि नैऋत्य कोण में सीढिय़ां बनाने से इस दिशा का भार बढ़ जाता है जो वास्तु की दृष्टि में बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिशा में सीढिय़ों का निर्माण सर्वश्रेष्ठ माना गया है इससे धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
दक्षिण या पश्चिम दिशा में इनका निर्माण करवाने से भी कोई हानि नहीं है। अगर जगह का अभाव है तो वायव्य या आग्नेय कोण में भी निर्माण करवाया जा सकता है। इससे बच्चों को परेशानी होने की आशंका होती है। घर का मध्य भाग यानि कि ब्रह्म स्थान अति संवेदनशील क्षेत्र माना गया है अत: भूलकर भी यहां सीढिय़ों का निर्माण नहीं कराएं अन्यथा वहां रहने वालों को विभिन्न प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
ईशान कोण की बात करें तो इस दिशा को तो वास्तु में हल्का और खुला रखने की बात कही गई है, यहां सीढिय़ां बनवाना हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
शुभ फल प्राप्ति के विषम संख्या सीढिय़ों की संख्या विषम होनी चाहिए जैसे-5, 7, 9,11,15,17 आदि। सीढिय़ों के शुरू व अंत में दरवाजा होना वास्तु नियमों के अनुसार होता है लेकिन नीचे का दरवाजा ऊपर के दरवाजेे के बराबर या थोड़ा बड़ा हो।
एक सीढ़ी से दूसरी सीढ़ी का अंतर नौ इंच सबसे उपयुक्त माना गया है। सीढिय़ां इस प्रकार हों कि चढ़ते समय मुख पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा की ओर हो और उतरते वक्त चेहरा उत्तर या पूर्व की ओर हो।
ऐसा कभी न करें सीढिय़ों के नीचे किचन, पूजाघर, शौचालय, स्टोररूम नहीं होना चाहिए अन्यथा ऐसा करने से वहां निवास करने वालों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जहां तक हो सके गोलाकार सीढिय़ां नहीं बनवानी चाहिए।
यदि आवश्यक हो तो, निर्माण इस प्रकार हो कि चढ़ते समय व्यक्ति दाहिनी तरफ मुड़ता हुआ जाए अर्थात क्लॉकवाइज। खुली सीढिय़ां वास्तुसम्मत नहीं होतीं अत: इनके ऊपर शेड अवश्य होना चाहिए। टूटी-फूटी, असुविधाजनक सीढ़ी अशांति तथा गृह क्लेश उत्पन्न करती हैं।