सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करते वक्त बरतें सावधानी, न करें यह चीजें अर्पित
Astrology Articles I Posted on 01-07-2023 ,07:02:30 I by:
सावन का महीना शुरू होने वाला है। हिंदू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है। इस पूरे माह भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि महादेव की पूजा-पाठ करने से भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती हैं और घर में सुख-शांति रहती है।
सावन के महीने में लोग भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास रखते हैं। पूरे महीने विधि-विधान के साथ भोलेनाथ का पूजन किया जाता है और इस दौरान मंदिरों में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। अगर आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो सावन के पूरे महीने पूरी श्रद्धा से उनका पूजन करें।
इस पूरे माह श्रद्धालु भोलेनाथ की अराधना करते हैं। माना जाता है कि अगर भक्त सच्चे दिल से महादेव की पूजा करते हैं, तो उनकी सारी मनोकामना पूरी होती है। भक्तों को इस महिने का बेसब्री से इंतजार रहता है। लेकिन ध्यान रखें शिवपुराण के अनुसार भोलेनाथ को कुछ चीजें भूलकर भी अर्पित नहीं करनी चाहिए।
आइए जानते हैं सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा आराधना के वक्त शिवपुराण के अनुसार किन नियमों का पालन करना चाहिए...
तुलसी
शिवपुराण में भगवान शिव की महिमा के साथ ही उनके पूजन का भी वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है भगवान शिव की पूजा में तुलसी का उपयोग निषेध होता है, इसलिए भूलकर भी तुलसी अर्पित न करें।
न करें शंख का इस्तेमाल
शिव पूजा करते समय शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता। शिवपुराण के मुताबिक भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था और शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, इसलिए शिव पूजा में शंख का इस्तेमाल वर्जित होता है।
खण्डित अक्षत नहीं होने चाहिए
भगवान शिव की पूजा करते समय अक्षत यानि चावल अर्पित करने चाहिए। लेकिन इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें कि अर्पित किए जाने वाले अक्षत खण्डित नहीं अर्थात् टूटे हुए नहीं होने चाहिए।
नारियल पानी से नहीं करना चाहिए अभिषेक
शिवपुराण में उल्लेख किया गया है कि भगवान शिव का अभिषेक कभी भी नारियल पानी से नहीं करना चाहिए। भगवान भोलेनाथ के अभिषेक के लिए दूध व गन्ने का रस शुभ माना गया है।
नहीं करें कुमकुम या सिंदूर का तिलक
इस बात का भी खास ख्याल रखें कि भगवान शिव को गलती से भी कुमकुम या सिंदूर का तिलक न करें। भगवान शिव को सिर्फ चंदन का तिलक किया जाता है। शिवपुराण के अनुसार चंदन की तासीर ठंडी होती है और वह भोलेनाथ के क्रोध को शांत रखती है।