लाल किताब: जन्मकुंडली में है "बुध" है तो...
Business & Finance I Posted on 09-02-2016 ,00:00:00 I by:
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनेक अंग हैं, किन्तु उनमें गणित और फलित का स्थान ही सर्वप्रमुख है। फ्लित ज्योतिष द्वारा मानव जीवन पर पडने वाले विभिन्न ग्रहों के शुभाभुभ प्रभाव का विचार किया जाता है। मनुष्य जिस समय में जन्म लेता है, उस समय आकाशमंडल में विभिन्न ग्रहों की जो स्थिति होती है उसका प्रभाव उसके पूरे जीवन पर पडता रहता है। फलित ज्योतिष का सबसे बडा लाभ यहीं है कि जिस प्रकार दीपक अंधेरे में रखी हुई वस्तुओं को प्रदर्शित करता है, उसी प्रकार जन्मकुंडली द्वारा जीवन में घटने वाली घटनाओं के ज्ञान का उद्घाटन होता है। ब्रह्मांड में अनेक ग्रह है, जिनमें प्रमुख है- सुर्य, चंद्र, मंगल, बुध, ब्रहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु। अब हम प्रत्येक ग्रह और उसकी विशेषताओं के बारे में बता रहे है।
बुध—
बुध सांवले रंग का, नस में बल वाला, हुनरमंद, बहुत से कामों में माहिर, हरेक काम को जल्दबाजी में करने वाला, मीठा बोलने वाला, वात-कफ और पित्त प्रकृति वाला तथा तांबे के समान आंखों वाला होता है। बुध को नपुंसक ग्रह माना गया है। यह मिथुन और कन्या राशियों का स्वामी है। वैसे बुध, बहुत चालाक ग्रह है। यह पारे की तरह विचार बदलता रहता है और अपना कत्तüव्य नहीं निभाता। जब कभी बुध कष्ट की स्थिति में होता है, तो वह अपने मित्र ग्रह शुक्र को मुसीबत में डालकर अपना बचाव कर लेता है अर्थात् वह अपनी बला शुक्र के गले में डाल देता है।
सूर्य, शुक्र और राहु बुध के मित्र तथा बृहस्पति का रंग पीला और राहु का नीला है। अगर इन दोनों रंगों को मिलाया जाए, तो हरा रंग हो जाएगा। इसलिए बृहस्पति और राहु के मिलने पर बुध हरा बन जाएगा अर्थात् बृहस्पति और राहु दोनों इकट्ठा होने पर बुध का असर होगा।
सूर्य को बुध का मित्र इसलिए माना गया है, क्योंकि सूर्य का साथ मिलने पर बुध का दोष नष्ट होकर उसमें गुण उत्पन्न हो जाते है। बुध का दूसरा मित्र ग्रह शुक्र है। इसमें बुध को प्रबलता मिलती है। बुध का तीसरा मित्र राहु है। दोनों आपस में मित्र और एक-दूसरे के सहयोगी है। यदि किसी कुंडली में दोनों मंदे घरों में हो तो जातक जिन्दा होते हुए भी मुर्दे के समान हो जात है। इसलिए इन दोनों का अलग-अलग होना ही अच्छा रहता है।