इसलिए साधु अपने साथ रखते है जटा, कमंडल और माला
Astrology Articles I Posted on 10-02-2016 ,00:00:00 I by:
साधुओं की दुनिया अलग ही होती है। साधुओं को सांसारिक चीजों के बदले दूसरी चीजें महत्वपूर्ण होती है। इन्ही में से उनका पहनावा ही उनके बारें में बता देता है कि वह किस तरह के साधु-संत है। इनको वेश-भूषा एक साधारण इंसान से बिल्कुल अलग होती है। ऎसे साधु होते है जो अपने शरीर में भस्म, जटाएं, कानों में कुंडल, गले में रूद्राक्ष का माला और कुछ तो अर्धनग्न और हाथ में चिमटा, त्रिशुल औक कंमडल लिए रहते है तो हमारे मन में एक बात आती है कि आखिर ये अपने साथ में चीजे क्यों लिए रहते है। कभी इन लोगों को इन चीजों से परेशानी नहीं होती। जानिए इन सब चीजों को लेने के पीछे क्या कारण है।
भस्म---
भगवान शिव भस्म रमाते हैं। अपने अराध्य की ही तरह शैव संप्रदाय के नागा साधुओं को भस्म रमाना अति प्रिय होता है। रोजाना स्त्रान के बाद ये अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं। उदासीन में भी कई साधु भस्म रमाते हैं।
कमंडल, चिमटा और त्रिशूल---
नागा साधु अपने आप में एक योद्धा होते है। वह शस्त्र के रूप में फरसा, तलवार और त्रिशूल साथ रखते है। साधु अपने हाथ में कमंडल, त्रिशूल या फिर चिमटा साथ रखते हैं। तो कुछ साधु धातु के तो कुछ तुंबे के कमंडल का इस्तेमाल करते हैं।
गले में माला---
साधु लोग अपने गले में नाला घारण करे रहते है। इसके पीछे अपने-अपने संप्रदाय की बात होती है। शैव संप्रदाय के लोग रूद्राक्ष की माला, वैष्णव के तुलसी की माला और इउसी तरह अख़ाडा या उपसंप्रदाय के साधु अपनी तरह से माला धारण करते है।
वस्त्र--
साधु संत कभी गेरूआ, पीतांबर या फिर भगवा रंग के वस्त्र धारण करते है। वैष्णव संप्रदाय में ज्यादातर साधु-संत श्वेत, कसाय या पीतांबरी वस्त्र का इस्तेमाल करते हैं, वहीं शैव संप्रदाय में भगवा रंग के वस्त्रों का अधिक इस्तेमाल होता है। उदासीन में दोनों ही प्रकार के वस्त्रों का चलन है। साथ ही साधु-संत रत्नों से भी सुशोभित होते हैं।
तिलक--
साधु लोग इसे श्रंगार के रूप में इस्तेमाल करते है। सबसे ज्यादा तिलक । हर साधु-संत अपने माथे में ख़डा टिका लगाते है। और अपने संप्रदाय के अनुसार आकृति और रंग बदल जाता है। शैव संप्रदाय में अ़ाडा तिलक लगाया जाता है। उदासीन में ख़डा-अ़ाडा दोनों ही प्रकार के तिलक लगाए जा सकते हैं। तिलक लगाने में साधु-संत विशेष एकाग्रता बरतते हैं। तिलक इतनी सफाई से लगाया जाता है कि अमूमन रोज ही उनका तिलक एक समान नजर आता है।