सुबह सुबह करें ये काम, खुलेंगे आपकी किस्मत के द्वार
Astrology Articles I Posted on 11-03-2018 ,10:16:37 I by: vijay
शिव हो या शंकर साकार और निराकार दोनों ही रूपों में हर सासांरिक पी़डा का शमन करने वाले माने गए हैं। शिव भक्ति में यही भाव और श्रद्धा मन को शांत और संतुलित कर व्यवहार के दोषों से भी दूर रखती है। जिससे सुखद परिणाम जल्द मिलते हैं। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं।
जहां अन्य देवी-देवताओं को वस्त्रालंकारों से सुसज्जित और सिंहासन पर विराजमान माना जाता है, वहां ठीक इसके विपरीत शिव पूर्ण दिगंबर हैं, अलंकारों के रूप में सर्प धारण करते हैं और श्मशान भूमि पर सहज भाव से अवस्थित हैं। उनकी मुद्रा में चिंतन है, तो निर्विकार भाव भी है। आनंद भी है और लास्य भी। भगवान शिव को सभी विद्याओं का जनक भी माना जाता है। वे तंत्र से लेकर मंत्र तक और योग से लेकर समाधि तक प्रत्येक क्षेत्र के आदि हैं और अंत भी।
वास्तव में भगवान शिव देवताओं में सबसे अद्भुत देवता हैं। वे देवों के भी देव होने के कारण महादेव हैं तो, काल अर्थात समय से परे होने के कारण महाकाल भी हैं। वे देवताओं के गुरू हैं तो, दानवों के भी गुरू हैं। देवताओं में प्रथमाराध्य, विघ्नहर्ता भगवान गणपति के पिता हैं तो, जगत्जननी जगदम्बा के पति भी हैं। वे कामदेव को भस्म करने वाले कामेश्वर भी हैं। तंत्र साधनाओं के जनक हैं तो संगीत के आदिगुरू भी हैं । उनका स्वरूप इतना विस्तृत है कि उसके वर्णन का सामर्थ्य शब्दों में भी नही है।
दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर शिव मंदिर जाएं उत्तरमुखी होकर शिवपूजन करें, सर्वप्रथम शिवलिंग का गंगाजल मिले पानी से अभिषेक करें। तदुपरांत बिल्व पत्र, अक्षत, गंध, चन्दन, धूप, सफेद फूल इत्यादि से पूजन करें तथा मावे से बने मिष्ठान का भोग लगाएं । इसके बाद सफेद चंदन की माला से इस मंत्र का यथा संभव जाप करें। इस शिव मंत्र से आपके किस्मत के द्वार खुलेंगे।
मंत्र:--
नमस्कृत्य महादेवं विश्वव्यापिनमीश्वरम्।
वक्ष्ये शिवमयं वर्म सर्वरक्षाकरं नृणाम्।। सास-बहू की टेंशन का कम करने के वास्तु टिप्स बुरे दिनों को अच्छे दिनों में बदलने के लिए करें केवल ये 4 उपाय 2017 और आपका भविष्य