आग की घटनाओं का ज्योतिषीय गणित
Astrology Articles I Posted on 27-05-2024 ,12:03:04 I by:
इस समय देश का एक बड़ा हिस्सा लगातार कई दिनों से भयंकर गर्मी के साथ ही लू की चपेट में भी आया हुआ है। लू और हीट वेव के सामने लोग अपने आप को बेवस सा महसूस कर रहे हैं। इस गर्मी में लोग चक्कर खाकर गिर रहे हैं और गर्मी से पीड़ित लोगों की संख्या भी अब अस्पतालों में बढ़ती जा रही है। इन सभी गर्मी की घटनाओं के साथ ही आग लगने की घटनाएं भी लगातार देखने को मिल रही हैं जिनमें से अभी गुजरात और दिल्ली के बड़े हादसों का नाम शामिल है। अग्नि का कारक ग्रह मंगल को माना जाता है और जब यह मंगल ग्रह राहु से युति करता है तो ऐसी स्थिति में यह बेकाबू हो जाता है। मंगल और राहु की युति से अंगारक योग का निर्माण होता है। यहां पर ज्योतिष में राहु को भी आगजनी को बढ़ाने वाला ग्रह माना जाता है। राहु ग्रह अक्टूबर 2023 से मीन राशि में गोचर कर रहा है और मीन राशि जलीय तत्व की राशि है। अग्नि को बढ़ावा देने वाला राहु ग्रह जब से इस मीन राशि में आया है तभी से यानि अक्टूबर से ही आगजनी की घटनाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है। इस समय ज्योतिष के अनुसार वर्तमान समय के गोचर की बात की जाए तो फिलहाल राहु और मंगल एक साथ ही जलीय तत्व की मीन राशि में युति बनाये हुए हैं। इस जलीय तत्व की मीन राशि में मंगल का 23 अप्रैल को प्रवेश हुआ है और इस 23 अप्रैल से ही आगजनी की घटनाओं में अचानक से वृद्धि देखने को मिल रही है क्योंकि मंगल और राहु दोनों ही आगजनी की घटनाओं को बढ़ावा देने वाले ग्रह हैं। इस समय मीन राशि में बनने वाला यह अंगारक योग 1 जून तक रहेगा और मंगल ग्रह 1 जून को दोपहर बाद मीन राशि से निकल कर अग्नि तत्व की मेष राशि में प्रवेश करेंगे। मंगल ग्रह के मेष राशि में जाने पर राहु से युति के माध्यम से बन रहे अंगारक योग का अंत हो जाएगा जिससे आगजनी की विकराल घटनाओं में काफी कमी देखने को मिलेगी लेकिन मंगल जब मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे तो मेष राशि भी अग्नि तत्व की राशि है और इसका स्वामी ग्रह मंगल स्वयं है। मंगल मेष राशि में 12 जुलाई की शाम तक रहेंगे तो मंगल के मेष राशि में रहने तक भी देश-विदेश में आगजनी से संबंधित कुछ घटनाएं तो अवश्य ही देखने को मिलती रहेगी।
12 जुलाई के बाद में इस आगजनी की घटनाओं में फिर से काफी कमी होती चली जाएगी। पंचांग के अनुसार इस समय नौतपा की भी शुरुआत हो चुकी है। सूर्य देव भी रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं। ज्योतिष के अनुसार रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्र देव हैं और चंद्रमा शीतलता का कारक माना जाता है। इसलिए जब सूर्य शीतलता के कारक ग्रह चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो चंद्रमा की शीतलता इससे प्रभावित होती है और यही शीतलता पृथ्वी पर भी कम पहुंच पाती है। ऐसा होने से मई, जून में पड़ने वाली तेज गर्मी की शुरुआत भी नौतपा से हो जाती है।
इस नौतपा के दौरान सूर्य देव पृथ्वी के काफी नजदीक होते हैं। इसी कारण से पृथ्वी वासियों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। नौतपा में विशाल गर्मी पड़ने के कारण आग लगने की घटनाएं भी अक्सर बढ़ जाती है। शास्त्रों के अनुसार नौतपा के दौरान सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति के अपने द्वारा किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। इस नौतपा के दौरान सुबह सूर्य देव को अर्घ देने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार से प्रातः काल आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से भी स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां कम होने लगती है। इस समय घर में सूर्य देव का हस्त निर्मित और रत्न जड़ित वैदिक यंत्र स्थापित करने पर भी उत्तम स्वास्थ्य, ऊर्जा, आत्मविश्वास और रोजगार की भी प्राप्ति होती है। इस समय जरूरतमंद लोगों को गर्मी से बचाव की वस्तुएं दान करना श्रेष्ठ माना जाता है। गर्मियों में हो सके तो प्याऊ लगवाए नहीं तो लोगों को गर्मी से बचाव के लिए शीतल पेय जल की व्यवस्था करें। सूर्य देव की पूजा और दानादि से धन प्राप्ति के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य बना रहता है और घर में खुशहाली भी आती है। वास्तु के हिसाब से बात करें तो आपको पूर्व दिशा, उत्तर दिशा और ईशान कोण में अग्नि से संबंधित वस्तुओं को नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह तीनों ही दिशाएं जलीय तत्व की दिशाएं मानी जाती हैं और यहां पर बिजली का मीटर, लाइट का पैनल, ईंधन, कपड़े, लाइट की बहुत ज्यादा फिटिंग और जनरेटर आदि को स्थापित नहीं करना चाहिए। यदि आप इन दिशाओं में ऐसा करते हैं तो आपको अपने घर या व्यावसायिक स्थल पर आगजनी की घटनाएं ज्यादा देखने को मिल सकती है।
इस नौतपा में सूर्य देव की आराधना करिए और वास्तु विषयक नियमों का पालन करिए। निश्चित ही आपको जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।
■ ज्योतिष फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले किसी योग्य ज्योतिर्विद से संपूर्ण परामर्श करने के बाद ही किसी सार्थक निर्णय पर पहुंचना उचित माना जाता है।
डॉ योगेश व्यास, ज्योतिषाचार्य, (टापर),
नेट ( साहित्य एवं ज्योतिष )
पीएच.डी (फलित-ज्योतिष)
Mob- 8058169959