नवरात्र में इन 5 नियमों का पालन जरूरी
Astrology Articles I Posted on 12-10-2015 ,00:00:00 I by:
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार शारदीय नवरात्र अधिक महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल में नवसंवत्सर से आरंभ होने वाला नवरात्र ही अधिक प्रचलित था। लेकिन कलियुग में शारदीय नवरात्र का महत्व बढ़ गया है। शास्त्रों में नवरात्र को आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का समय माना गया है। इसलिए नवरात्र के कई नियम हैं जिनका पालन व्रत करने वालों और जो व्रत नहीं करते हैं उन्हें भी करना चाहिए।
इन नियकों का जरूर पालन करें-
1. शुद्धता और पवित्रता जरूरी-
नवरात्र शुद्धता से जुडा पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक पूर्ण पवित्रता और सात्विकता बनाए रखते हुए देवी के नौ स्वरूपों की आराधना करने का विधान है। इसलिए नवरात्र के दिनों बहुत से श्रद्धालु कपडे धोने, शेविंग करने, बाल कटाने और पलंग या खाट पर सोने से बचते हैं।
2. विष्णु पुराण के अनुसार-
नवरात्र में व्रत के समय बार-बार पानी पीने, दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और स्त्री के साथ संबंध बनाने से भी व्रत खंडित हो जाता है। यानी नवरात्र में पति-पत्नी को साथ सोने से भी बचना चाहिए।
3. नहीं होता विवाह-
नवरात्र के दिनों में विवाह का आयोजन भी नहीं होता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि विवाह का उद्देश्य वंश वृद्घि यानी संतान की उत्पत्ति है। जबकि नवरात्र के दिनों में काम और स्त्री प्रसंग से दूर रहने का नियम है। यह भक्ति और आस्था में डूबने का समय होता है। विवाह संस्कार होने से मां की आराधना से व्यक्ति वंचित हो सकता है।
4. रात्रि में पूजा-
शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि नवरात्र के दिनों में रात्रि के समय देवी की पूजा अधिक फलदायी होती है क्योंकि देवी रात्रि स्वरूप हैं और भगवान शिव दिन के स्वरूप। इसलिए नवरात्र के दिनों में मन को एकाग्र करके देवी में ही लगाना चाहिए न कि उन्य चीजों में।
5. ब्रह्मचर्य का पालन-
नवरात्रों में लोग अनेक नियमों का भी पालन करते हैं। ऎसा ही एक नियम है नवरात्रों के दौरान खुद को शारीरिक संबंध बनाने से दूर रखना है। जिस बिस्तर पर पति-पत्नी शारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं उसी को छूकर देवी का आह्वान करना अशुद्ध माना जाता है। आप अशुद्ध मन से देवी मां की पूजा कर नहीं सकते इसलिए कम से कम उन नौ दिनों तक खुद पर नियंत्रण रखिए जिस दौरान स्वयं देवी मां हमारे घर पधारती हैं।