आपका नासिका स्वर बता सकता है कि कैसा रहेगा आपका दिन ?
Astrology Articles I Posted on 26-06-2017 ,12:12:26 I by: Amrit Varsha
धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष के अनुसार किसी भी शुभ या मांगलिक काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ऐसे में अगर नासिका स्वर पर ध्यान दें तो सुखद परिणाम आ सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार हमारे शरीर में दो स्वर होते हैं, जिन्हें चंद्र स्वर व सूर्य स्वर कहा जाता है। नाक के दाहिने छिद्र से चलने वाले स्वर को सूर्य स्वर कहते हैं। यह साक्षात शिव का प्रतीक है। जबकि बाएं छिद्र से चलने वाले स्वर को चंद्र स्वर कहते हैं। बाएं स्वर से सांस लेने को इडा और दाहिने से लेने पर उसे पिंगला कहते हैं और दोनों छिद्रों से चलने वाले श्वास को सुषुम्ना स्वर कहते हैं। स्वारोदय यानी स्वर के उदयादि से स्वर पहचान कर शुभाशुभ जानकर कार्य प्रारंभ करना, निश्चित सफलता का सूचक है। यात्रा, राजकीय कार्य, सेवा चाकरी, परीक्षा, साक्षात्कार व विवाह आदि मांगलिक कार्यों में इसकी महत्ता सर्वोपरि है।
दिनों के अनुसार चलते हैं स्वररविवार को दिन में सूर्य और रात में चंद्र स्वर, सोमवार को दिन में चंद्र और रात में सूर्य स्वर, मंगल को दिन में सूर्य और रात को चंद्र स्वर, बुध को दिन में चंद्र और रात को सूर्य स्वर, गुरुवार को दिन में सूर्य और रात को चंद्र स्वर, शुक्र को दिन में चंद्र और रात को सूर्य स्वर और शनिवार को दिन में चंद्र और रात को सूर्य स्वर प्रवाहित होते हैं।
मान लीजिए आपको कोई शुभ कार्य गुरुवार को करना है, तो उस दिन जब सूर्य स्वर चले तो वह वेला उस कार्य की सफलता के लिए शुभ होती है। इसी प्रकार रात में गुरुवार को जब चंद्र स्वर चले तो उस काल में वह कार्य करना शुभ होता है। चंद्र स्वर शरीर को ठंडक पहुंचाता है। इस स्वर में तरल पदार्थ पीने चाहिए और ज्यादा मेहनत का काम नहीं करना चाहिए। जब नाक के दाईं तरफ के छिद्र से श्वास चल रही हो यानी सूर्य स्वर चल रहा हो तो भोजन और ज्यादा मेहनत वाले काम करने चाहिए क्योंकि यह स्वर शरीर में ऊष्मा उत्पन्न करता है।
स्वर बदलना भी है संभव
नासिका के जिस छिद्र से तीव्र श्वास चले, उसी को प्रमुख स्वर मानना चाहिए। जिस तरफ का स्वर बंद हो उस तरफ के छिद्र को अंगुली से बंद करके दूसरे स्वर को चलाने से स्वर बदल जाता है और तब आप इच्छानुसार स्वर प्रारंभ कर इच्छित कार्य कर सकते हैं। प्रत्येक स्वर अढाई घटी (एक घंटे) में स्वत: बदल जाता है। इसलिए स्वर को अधिकार में लाकर इच्छित लाभ व कार्य में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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