रुद्राक्ष के मुख और विशेषताएं को जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे
Astrology Articles I Posted on 08-04-2017 ,16:51:10 I by: Amrit Varsha
रुद्राक्ष को धारण करना तो शुभ माना जाता है लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि कुछ विशेष और कई मुख वाले रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक की किस्मत को भी बदल सकते हैं। आइए जानें रुद्राक्ष और उनके मुखों से जुडी खास जानकारियां-
एक मुखी रुद्राक्ष : पौराणिक मान्यताओके अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात शिवस्वरुप माना जाता है। इसके निरंतर सानिध्य से एवं ध्यान धारणा से, धारणकर्ता – वैश्विकज्ञान, उच्चतम चेतनावस्था पाते हुए त्रिकालदर्शी हो जाता है। भगवान शिव और की कृपा और पवित्र कर्मों के फलस्वरुप कुछ गिने चुने भाग्यशाली व्यक्तियों को ही यह दुर्लभ मनी धारण करने का अवसर मिलता है। इसे धारण करने से व्यक्ति के मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं और पूरी दुनिया को मुट्ठी में रखने की क्षमता प्राप्त करता है।
दो मुखी रुद्राक्ष: दो मुखी रुद्राक्ष शिव का अर्धनारीश्वर स्वरुप है। ईससे पति-पत्नि, पिता-पुत्र, मित्र एव्ं व्यावसायिक संबंधोमे सौहार्द आता है। एकता बनाए रखनेवाला यह मणी आत्मिक शांति और पुर्णता प्रदान करता है। चंद्रमा की प्रतिकुलता से उत्पन्न दोषों का निवारण यह करता है।
तीन मुखी रुद्राक्ष: यह अग्निदेवता का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य की प्रतिकूलता से उत्पन्न सभी दोषों का निवारण तीन मुखी रुद्राक्ष करता है। तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य जन्म जन्मांतर के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष पाता है। इससे पेट और यकृत की बीमारियां दूर होती है।
चार मुखी रुद्राक्ष: चारमुखी रुद्राक्ष के अधिपति ब्रह्मा है। इससे स्मरणशक्ति, मौखिक शक्ति व्यवहार चातुर्य, वाक्चातुर्य तथा बुद्धिमता का विकास होता है। गुरु ग्रह की प्रतिकूलता से उत्पन्न सभी दोषों का निवारण यह करता है।
पांच मुखी रुद्राक्ष: पांच मुखी रुद्र कालाग्नि का प्रतिनिधित्व करता है। इससे मन को शांति प्राप्त होती है। गुरु ग्रह की प्रतिकूलता से उत्पन्न सभी दोषों का निवारण यह करता है।
छह मुखी रुद्राक्ष: इसका स्वामी कार्तिकेय है तथा इस पर मंगल ग्रह का अधिपत्य है। इसे धारण करने पर साफ सुथरी प्रतिमा, मजबूत नींव के साथ जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है। ऐशोआराम तथा वाहनसुख की लालसा पूरी होती है।
सात मुखी रुद्राक्ष: सातमुखी रुद्राक्ष ऐश्वर्य की देवता महालक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करता है। इसे धारण करने से संपन्नता, ऐश्वर्य तथा उन्नती के नए नए अवसर प्राप्त होते हैं। आर्थिक विपत्तीयों से ग्रस्त लोग इसे धारण करें। व्यवसाय में घाटा टालने या कम करने मे यह मददगार होता है। अगर सफलता देरी से मिलनेकी शिकायत है तो सात मुखी रुद्राक्ष जरुर धारण करें।
आठ मुखी रुद्राक्ष: आठमुखी रुद्राक्ष के स्वामी संकटमोचन श्री गणेशजी है तथा केतु ग्रह इसका अधिपति है। यह मार्ग के सारे अवरोध दूर करता है और सभी कार्यों में यश देता है। विरोधियों के मन मे बदलाव लाकर शत्रुओं को भी धारणकर्ता के हित में सोचने के लिए बाध्य करता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष: नौमुखी रुद्राक्ष की स्वामी नवदुर्गा है तथा राहु इसका प्रतिनिधित्व करता है। यह धारणकर्ता को अपार उर्जा, शक्ति तथा चैतन्य देता है। राहू की प्रतिकूलता से उत्पन्न होने वाले सभी दोषों का निवारण यह रुद्राक्ष करता है।
दस मुखी रुद्राक्ष: दशमुखी रुद्राक्ष के अधिपति भगवान महाविष्णु तथा यम देव हैं। यह रुद्राक्ष एक कवच का कार्य करता है, जिसे धारण करने पर नकारात्मक उर्जा से सुरक्षा प्राप्त प्राप्तह होती है। इससे न्यायालयीन मुकदमे, भूमि से जुडे व्यवहार में यश प्राप्त होता है तथा कर्ज से मुक्ति मिलती है।
11 मुखी रुद्राक्ष: ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के अधिपती 11 रुद्र है। इसका प्रभाव सारे इंद्रिय, सशक्त भाषा, निर्भय जीवन पर होता है। इससे सारे ग्रहों की प्रतिकूलता से उत्पन्न दोषों का निवारण होता है।
12 मुखी रुद्राक्ष: बारह मुखी रुद्राक्ष के अधिपति सूर्यदेव हैं। धारण कर्ता को शासन करने की क्षमता, अलौकिक बुद्धिमता की चमक, तेज और शक्त्िार जैसे सूर्यदेव के गुण प्राप्त होते हैं। आत्मविश्वास एव्ं उर्जा मिलती है।
13 मुखी रुद्राक्ष: 13 मुखी रुद्राक्ष के स्वामी इंद्रदेव तथा अधिपति कामदेव होते हैं। धारणकर्ता की सारी सांसारीक मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कामदेव की कृपा से आकर्षण शक्ति तथा करिश्मााई व्यक्तित्व प्राप्त होता है। अनेक सिध्दीयों को जाग्रत करते हुए कुंडलिनी जाग्रति में सहायक होता है।
14 मुखी रुद्राक्ष: चौदह मुखी रुद्राक्ष अनमोल ईश्वरीय रत्न है। इसे साक्षात ‘देवमणी’ कहा जाता है। ईसके अधिपती स्वय्ं भगवान शिव और महाबली हनुमान है। धारणकर्ता को दुर्घटना, यातना व चिंतासे मुक्ति दिलाते हुए सफलता की ओर ले जाता है। 14 मुखी रुद्राक्ष शनि की बाधा से उत्पन्न दोषों का निवारण करता है।
15 मुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष भगवान पशुपतीनाथ का स्वरुप है। ह्रदय रोग, मधुमेह, अस्थमा जैसे रोगे से राहत दिलाता है।
16 मुखी रुद्राक्ष: यह भगवान शिव का महाम्रुत्युंजय रुप है। इसे विजय रुद्राक्ष भी कहा जाता है। शत्रु को परास्त करते हुए दिग्विजयी होने में का शुभाषिश यह प्रदान करता है। इसे धारण करना प्रतिदिन सवा लाख बार महाम्रुत्युंजय मंत्र का जाप करने बराबर है।
17 मुखी रुद्राक्ष: इसके अधिपति विश्व के निर्माता विश्वकर्मा है। धारणकर्ता को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त होते है। अपने पेशे में व भाग्य में लगातार बढौतरी चाहने वाले व्यवसायी, प्रबंधक, सरकारी अधिकारी तथा राजकीय नेताओं के लिए 17 मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभदायी होता है।
18 मुखी रुद्राक्ष: यह भूमीदेवी का स्वरुप है। यह धारणकर्ता के लिए व्यवसाय, भूमि व्यवहार तथा आपार वैभव के रास्ते खोलने वाला एक शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह मधुमेह और लकवा जैसे रोगोमे आराम दिलाता है।
19 मुखी रुद्राक्ष: यह भगवान नारायण का स्वरुप है। यह मणि शरीर के सारे चक्र खोल देता है जिससे व्याधियों से मुक्ति मिलती है। यह नौकरी, व्यवसाय, शिक्षा के सारे अवरोध दूर करता है।
20 मुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरुप है। ईसमे नवग्रह, आठ दिकपाल तथा त्रिदेव की शक्तियॉ है जिससे व्यक्ती ईच्छाधारी बन जाता है।
21 मुखी रुद्राक्ष: यह दुर्लभ रुद्राक्ष कुबेर का स्वरुप है। धारण करने वाला अपार जमीन- जायदाद, सुख और भौतिक इच्छाएं पूर्ण होने का वरदान पाता है।
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