आप भी जान सकते हैं कि कल क्या होने वाला है
Astrology Articles I Posted on 25-08-2017 ,21:53:49 I by: Amrit Varsha
हर व्यक्ति की चाहत है कि उसे भविष्य का आभास पहले ही हो जाए। यानी आने वाले कल को पहले ही जान ले लेकिन यह जानना कोई बच्चोंऔ का खेल नहीं। पहले के जमाने में ऋषि-मुनियों के पास ही यह सिद्धी हुआ करती थी। आज के दौर में आम आदमी भी कुछ खास अभ्याहस के साथ अपनी छठी इंद्री को जगाकर आने वाले कल का पूर्वाभास कर सकता है। हालांकि इसमें थोडा समय लग सकता है लेकिन कुछ समय के अभ्यास के बाद आप आने वाले कल को संकेंतों के अनुसार जान सकते हैं।
छठी इंद्री, यही वह शक्ति है जो आपको आने वाले कल के बारे में बता सकती है। छठी इंद्र सभी इंद्रियों में सुस्त और सुप्तावस्था में होती है। भृकुटी के मध्य निरंतर और नियमित ध्यान करते रहने से आज्ञाचक्र जाग्रत होने लगता है जो हमारे सिक्स्थ सेंस को बढ़ाता है। योग में त्राटक और ध्यान की कई विधियां बताई गई हैं। उनमें से किसी भी एक को चुनकर आप इसका अभ्यास कर सकते हैं।
अभ्यास की क्या हो जगह अभ्यास के लिए सर्वप्रथम जरूरी है साफ और स्वच्छ वातावरण, जहाँ फेफड़ों में ताजी हवा भरी जा सके अन्यथा आगे नहीं बढ़ा जा सकता। शहर का वातावरण कुछ भी लाभदायक नहीं है, क्योंकि उसमें शोर, धूल, धुएँ के अलावा जहरीले पदार्थ और कार्बनडॉक्साइड निरंतर आपके शरीर और मन का क्षरण करती रहती है। स्वच्छ वातावरण में सभी तरह के प्राणायाम को नियमित करना आवश्यक है।
मौन ध्यान से मिलेगा आभास ज्ञान भृकुटी पर ध्यान लगाकर निरंतर मध्य स्थित अंधेरे को देखते रहें और यह भी जानते रहें कि श्वास अंदर और बाहर हो रही है। मौन ध्यान और साधना मन और शरीर को मजबूत तो करती ही है, मध्य स्थित जो अंधेरा है वही काले से नीला और नीले से सफेद में बदलता जाता है। सभी के साथ अलग-अलग परिस्थितियां निर्मित हो सकती हैं। मौन से मन की क्षमता का विकास होता जाता है जिससे काल्पनिक शक्ति और आभास करने की क्षमता बढ़ती है। इसी के माध्यम से पूर्वाभास और साथ ही इससे भविष्य के गर्भ में झाँकने की क्षमता भी बढ़ती है।
सिक्स सेंस का कमालयही सिक्स सेंस के विकास की शुरुआत है। अंतत: हमारे पीछे कोई चल रहा है या दरवाजे पर कोई खड़ा है, इस बात का हमें आभास होता है। यही आभास होने की क्षमता हमारी छठी इंद्री के होने की सूचना है। जब यह आभास होने की क्षमता बढ़ती है तो पूर्वाभास में बदल जाती है। मन की स्थिरता और उसकी शक्ति ही छठी इंद्री के विकास में सहायक सिद्ध होती है।
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