सावन के अंतिम सोमवार का महत्व, ऐसे करें पूजा
Astrology Articles I Posted on 15-08-2016 ,09:31:44 I by:
भगवान शिव की पूजा के लिए सावन के सोमवार बड़े महत्वपर्ण होते हैं। सावन के
अंतिम सोमवार का विशेष महत्व है। इसमें मुख्य रूप से शिवलिंग की पूजा होती
है। इस दिन व्रत की सर्वाधिक महिमा है। सावन माह भगवान शिव का प्रिय मास
है, वहीं शिव पार्वती के पूजन से उनकी कृपा सहज ही पाई जा सकती है।
पंडितों
के अनुसार, सावन का चौथा और अंतिम सोमवार श्रद्धालुओं को आर्थिक
परेशानियों से छुटकारा दिलाने वाला होता है। इस दिन भक्तिपूर्वक भगवान शिव
की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है। पौराणिक मान्यताओं में भगवान
शंकर की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन महाशिवरात्रि, उसके बाद सावन के महीने
में आने वाला प्रत्येक सोमवार का महत्व है।
कार्यक्षेत्र और जीवन
के दूसरे क्षेत्रों में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है। दांपत्य जीवन
में आपसी प्रेम और सहयोग बढ़ता है। साथ ही आर्थिक परेशानियों में कमी आती
है और जीवन पर आने वाले संकट से भगवान शिव रक्षा करते हैं। सावन के अंतिम
सोमवार के मौके पर देशभर के शिवालयों में रुद्राभिषेक के विशेष आयोजन किए
गए हैं।
ऐसे करे पूजन- प्रात: और सायकाल स्नान के बाद शिव
परिवार की पूजा करे। पूर्वमुखी या उत्तर दिशा की ओर मुख करके, आसन पर बैठकर
एक ओर पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शक्कर एवं गंगाजल रख ले। शिव परिवार
को पंचामृत से स्नान करवाए। फिर चन्दन ,फुल , फल ,सुगंध ,रोली और वस्त्र
अदि अर्पित करें।
शिवलिंग पर सफेद पुष्प, बेलपत्र, भांग, धतुरा,
सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान चढाये। गणेशजी को दूर्वा यानि हरी घास,
लड्डू या मोदक, एवं पीले वस्त्र अर्पित करे। भगवान शिव की आरती या शिव
चालीसा पढ़े। गणेश जी की आरती धुप दीप से करें। शिव परिवार से अपने परिवार
की सुख समृधि के लिए हाथ जोडकर मन से प्रार्थना करें।
महादेव की
स्तुति दिन में दो बार की जाती है। सूर्योदय पर, फिर सूर्यास्त के बाद।
पूजा के दौरान 16 सोमवार की व्रत कथा और सावन व्रत कथा सुनाई जाती है। पूजा
का समापन प्रसाद वितरण से किया जाता है। शिव मन्त्र का जाप अत्यंत उपयोगी
माना गया है अन्यथा आप साधारण एवं सर्वप्रिय पंचाक्षरी मन्त्र ऊॅ नम :
शिवाय और गणेश मन्त्र ऊॅ गं गणपतये नम: का जाप करते हुए सामग्री चढ़ा सकते
है।