सावन के महीने में महिलाएं क्यों जाती है मायके...
Astrology Articles I Posted on 21-07-2019 ,15:27:02 I by: vijay
भारतीय संस्कृति के रीति-रिवाज और
धार्मिक अनुष्ठान इस प्रकार बनाए गए हैं ताकि व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल
जीवन का आनंद ले सके। सावन आते ही त्यौहार शुरू हो जाते है। सावन के महीने
में होने वाले पर्व त्यौहार कजरी तीज, हरियाली तीज, मधुश्रावणी, नाग
पंचमी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं। लेकिन सबसे अलग ये बात होती है जिन
लड़कियों का रिश्ता तय हो जाता है उनके लिए यह त्यौहार सबसे बडा होता है।
क्योंकि लडकी के ससुराल से सिंजारा यानी श्रृंगार का पूरा सामान आता है।
लेकिन नव विवाहिताएं इस महीने में अपने पीहर चली जाती है। आपने सोचा है कि
आखिर ऐसा क्यों होता है तो हम बताते है, आइए जानते है।
सावन के महीने में महिलाएं क्यों जाती है मायके...
हालांकि ऐसी मान्यता
है कि सावन के महीने में नवविवाहिता स्त्रियों को अपने मायके भेज दिया
जाता है। धार्मिक और लोकमान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से पति की आयु लंबी
होती है और दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।
धार्मिक मान्यताओं को आयुर्वेद भी
स्वीकार करता है लेकिन इसका अपना वैज्ञानिक मत है। आयुर्वेद के अनुसार
सावन के महीने में मनुष्य के अंदर रस का संचार अधिक होता है जिससे काम की
भावना बढ़ जाती है। मौसम भी इसके लिए अनुकूल होता है जिससे नवविवाहितों के
बीच अधिक सेक्स संबंध से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सावन के महीने में पुरुषों को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए शुक्राणुओं का संरक्षण करना चाहिए।
वहीं
आयुर्वेद में लिखा है कि इस महीने में गर्भ ठहरने से होने वाली संतान
शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो सकती है। इसलिए ही भारतीय संस्कृति में
पर्व त्योहार की ऐसी परंपरा बनाई गई है ताकि सावन के महीने में नवविवाहित
स्त्रियां मायके में रहे।
इसके साथ ही सावन के महीने में शिव की पूजा के पीछे भी यही कारण है कि
व्यक्ति काम की भावना पर विजय पा सके। भगवान शिव काम के शत्रु हैं।
कामदेव ने सावन में ही शिव पर काम का बाण चलाया था, जिससे क्रोधित होकर शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था।
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