बिना डेट ऑफ बर्थ के जानें क्या लिखा है किस्मत में
Astrology Articles I Posted on 10-11-2017 ,21:30:44 I by: Amrit Varsha
ज्योतिष के अनुसार किसी जातक का भविष्यफल जानने के लिए जन्म की तारिख, समय और जन्म स्थान का होना आवश्यक है, लेकिन बहुत से लोगों को अपनी जन्म तिथि या समय का पता नहीं होता, इसलिए उनकी कुंडली बनाना संभव नहीं होता है। यदि किसी जातक को यह पता है कि उसका जन्म किस तिथि को हुआ है तो उसके आधार पर भी उसके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताया जा सकता है।
प्रतिपदा तिथि को जन्म लेने वाले जातक प्राय अच्छे कामों से दूर रहकर अनैतिक और क़ानून विरोधी कामों में लिप्त रहते हैं। तामसिक भोजन पसंद करने वाले ऐसे लोगों की दोस्ती गलत तत्वों से हो सकती है। इस तिथि के स्वामी देव अग्नि हैं इसलिए इन जातकों को अग्नि की पूजा और हवन आदि करना चाहिए तथा प्रतिपदा तिथि को पेठा या कुम्हड़ा का सेवन नहीं करना चाहिए वर्ना धन हानि संभव है।
द्वितीय तिथि को जन्मे जातक प्राय स्वार्थी, झूठी या बनावटी बातें करने वाले तथा मन में दूसरों के प्रति वैर भाव रखने वाले होते हैं। ऐसे जातकों में पर स्त्री के प्रति लगाव बने रहने से अपमानित होने की संभावना बनी रहती है। इस तिथि के स्वामी देव ब्रह्मा जी हैं। इनको ब्रह्मा जी की आराधना करनी चाहिए और इस तिथि को बैंगन या कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए।
तृतीया तिथि को जन्म लेने वाले जातक प्राय आलसी, एकांत प्रेमी, भ्रमित बुद्धि वाले, मेहनत से जी चुराने वाले, और अस्थिर मानसिकता वाले होते हैं। इस तिथि के स्वामी देव माता पार्वती हैं। इसलिए इन जातकों को पार्वती की पूजा करनी चाहिए तथा इस तिथि को परवल के सेवन से बचना चाहिए अन्यथा शत्रु वृद्धि होने से नुकसान उठाना पड सकता है।
चतुर्थी तिथि को जन्म लेने वाले जातक बुद्धिमान, भाग्यशाली, अच्छे संस्कार वाले, आर्थिक रूप से संपन्न, सुखी और मित्रों से प्रेम भाव रखने वाले होते हैं। इनकी संतान भी अच्छे संस्कार युक्त होती हैं। इन जातकों को अपनी तिथि के स्वामी देव गणेश जी की आराधना करनी चाहिये तथा जीवन में शुभता के लिए इस तिथि को मूली का सेवन नहीं करना चाहिए।
पंचमी तिथि को जन्मे जातक भी सुखी, संपन्न, धनी, गुणवान, संपन्न, माता-पिता की सेवा करने वाले, उदार और दानशील होते हैं। इन जातकों को पंचमी तिथि के स्वामी नागदेव एवं भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और इस तिथि को बेल के सेवन से परहेज करना चाहिए वरना जीवन में अपमानित होने की संभावना रहती है।
षष्टी तिथि को जन्म लेने वाले जातकों में यात्राएं करने और घूमने-फिरने का शौक होता है। लेकिन स्वभाव में रूखापन होने से छोटी-छोटी बातों पर विवाद करने की आदत देखी जाती है। इस तिथि के स्वामी देव कार्तिकेय की पूजा करने और इस तिथि को नीम का सेवन न करने से लाभ मिलता है।
सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी और एकादशी तिथियों में जन्म लेने वाले जातकों में समान गुण देखे गए हैं। ये जातक भाग्यशाली, गुणवान, प्रतिभाशाली, संतोषी, सुखी, आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी, ह्रदय से पवित्र, परोपकारी, अध्ययनशील, विद्वान और समाज में सम्मानित होते हैं। इनकी संतानें भी योग्य होती हैं।
सप्तमी तिथि के स्वामी देव सूर्य, अष्टमी के शिव, नवमी के माता दुर्गा, दशमी के यमराज और एकादशी के स्वामी देव विश्वदेव हैं। इसलिए इन जातकों को अपने स्वामी देव की आराधना अवश्य करनी चाहिए।
अष्टमी तिथि को नारियल, नवमी को लौकी, और एकादशी को सेम एवं चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
द्वादशी तिथि को जन्मे जातक प्राय अस्थिर स्वभाव के, चंचल, शरीर से कमजोर, घूमने-फिरने के शौक़ीन, एवं यात्राएं करने वाले होते हैं। इन जातकों को भगवान् विष्णु की पूजा करनी चाहिए तथा द्वादशी को सेम का सेवन नहीं करना चाहिए।
त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णमासी तिथियों में जन्मे जातक प्राय बुद्धिमान, धार्मिक, सभी की मदद करने वाले, धनि, दयावान, सम्मानित, परिश्रमी, और अच्छे आचरण वाले होते हैं। त्रयोदशी तिथि के स्वामी देव कामदेव, चतुर्दशी के चंद्रदेव एवं पूर्णमासी तिथि के भगवान शिव हैं , इसलिए इन जातकों को अपने स्वामी देव की आराधना करने से लाभ होता है।
त्रयोदशी वाले जातकों को बैंगन तथा पूर्णमासी वाले जातकों को तिल के तेल के सेवन से परहेज करना चाहिए अन्यथा संतान और धन की हानि हो सकती है।
अमावस्या तिथि को जन्म लेने वाले जातक प्राय चालाक, ईर्ष्यालु, आलसी, क्रूर तथा कठोर आचरण वाले होते हैं। इस तिथि के स्वामी देव पितरों और पीपल वृक्ष की पूजा करने और इस तिथि को तिल के तेल का प्रयोग न करना शुभ रहता है।
2017 और आपका भविष्य मिलेगी सरकारी नौकरी अगर करें ये खास उपाय करें ये 15 उपाय, नहीं रहेंगे कुंवारे, होगी जल्दी शादी