इन उपायों को करने के तीन महीनों में मिलेगा सुयोग्य वर
Astrology Articles I Posted on 26-04-2017 ,09:39:41 I by: Amrit Varsha
विवाह योग्य बिटिया की शादी में अनावश्यक विलंब के कारण माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है। ज्योतिषीय कारण जातक की शादी में विलंब के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी होते हैं। यदि बिटिया की शादी तय होने में बार-बार रुकावट आ रही हो तो शादी से संबंधित बाधक ग्रह-योगों के उपाय करने से शादी के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होकर शीघ्र उत्तम घर व वर मिलने में मदद मिलती हैं।
कुंडली में विवाह का विचारमुख्यत
सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु की स्थिति को ध्यान मे रखकर किया जाता है। सप्तम भाव इसलिए, क्योंकि कुंडली में विवाह से संबंधित भाव यही है। सप्तमेश को देखना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वही इस भाव का स्वामी होगा। कन्या की कुंडली में गुरु की स्थिति प्रमुख रूप से विचारणीय होती है क्योंकि उनके लिए गुरु पति का स्थायी कारक है। लग्नेश का सप्तमेश एवं पंचमेश के साथ संबंध भी विवाह को प्रभावित करता है। विवाह संबंधी प्रश्नों में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली तीनों से ही विचार करना चाहिए। जन्म कुंडली मे कुछ ऐसे योग होते हैं, जो जातिका के विवाह में विलंब का कारण बनते हैं।
विवाह में विलंब के प्रमुख कारण
जन्म कुंडली में शुक्र वैवाहिक सुख से संबंधित है। वहीं महिलाओं के लिए गुरु पति, पुत्र तथा धन का प्रतिनिधि ग्रह है। अत: पति सुख के लिए महिलाओं की कुंडली में गुरु की स्थिति विचारणीय है।
सप्तम भाव में शनि डालता है विघ्न:
स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव में शनि या चौथे भाव में मंगल आठ अंश तक हो तो विवाह में बाधा आती है। इसी प्रकार स्त्री कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी के साथ शनि बैठा हो तो विवाह बड़ी आयु में होता है।
ग्रहों की वक्र दृष्टि भी जिम्मेदारसातवें भाव में शनि हो और कोई पापी ग्रह उसे देखता हो तो उसका विवाह काफी मुश्किल से होता है। शनि, सूर्य, राहु, 12वें भाव का स्वामी (द्वादशेश) तथा राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी (जैसे राहु मिथुन राशि में बैठा हो तो, मिथुन का स्वामी बुध राहु अधिष्ठित राशि का स्वामी होगा) यह पांच ग्रह विच्छेदात्मक प्रवृति के होते हैं। इनमें से किन्हीं दो या अधिक ग्रहों की युति या दृष्टि संबंध जन्म कुंडली के जिस भाव स्वामी से होता है तो उसे नुकसान पहुंचाते हैं। अत: सप्तम भाव या उसके स्वामी को इन ग्रहों द्वारा प्रभावित करने पर विवाह मे विलंब हो सकता है।
ऐसे करें उपायसर्व प्रथम विवाह में बाधक ग्रहों की पहचान कर उस ग्रह से संबंधित व्रत, दान, जप आदि करने चाहिए। पितृ शांति कराएं। पति के कारक ग्रह गुरु के व्रत विशेष लाभकारी होते हैं। इस दिन हल्दी मिश्रित जल केले को चढ़ाएं, घी का दीपक जलाएं तथा गुरु मंत्र ओम ऐं क्लीं बृहस्पतये नम: का जप करें। गुरुवार को पके केले स्वयं नहीं खाएं। इनका दान करें। विवाह योग्य कन्या को मकान के वायव्य दिशा में सोना चाहिए। इसके अलावा अपनी राशि के अनुसार उपाय करें, शीघ्र विवाह के अवसर प्राप्त होंगे।
शीघ्र वर प्राप्ति के लिए मंत्र साधना 1. ओम लीं विश्वासुर्नाम गन्धर्व:। कन्यानामधिपति: लभामि। देवदत्तो कन्यां सुरूपां सालकारां तस्मै विश्वासवै स्वाहा।। गुरुवार को किसी शुभ योग में इस मंत्र का फिरोजा की माला से पांच माला जप करें। यह क्रिया ग्यारह गुरुवार करें, उत्तम वर व घर शीघ्र मिलेगा।
2. ओम ह्नीं कुमाराय नम: स्वाहा। सात सोमवार तक नियमित रूप से पारद शिवलिंग के सम्मुख इस मंत्र की 21 माला का जप सोमवार को करें। योग्य वर के साथ शीघ्र विवाह के योग बनेंगे।
3. ओम बहि प्रेयसी स्वाहा। महाविद्या भुवनेश्वरी यंत्र के सम्मुख इस मंत्र का सवा लाख जप करें, उत्तम वर से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे।
4. कात्यायिनी महामाये महायोगिनीधीश्वरी। नन्द-गोपसुतं देवि! पतिं में कुरु ते नम: ।। मां पार्वती के चित्र के सामने, पूजा करने के बाद इस मंत्र की ग्यारह माला का जप करें। यह क्रिया 21 दिनों तक नियमित रूप से करें।
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