यह हैं श्रीकृष्ण की 16000 पत्नियों का राज!
Astrology Articles I Posted on 24-08-2016 ,12:59:46 I by:
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस माना जाता है। इस साल 25 अगस्त, गुरूवार को
जन्माष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। इसी कडी में आज आपके लिए भगवान श्रीकृष्ण
की 16,000 पत्नियों के बारे में बताने जा रहे है। इस संबंध में कई कथाएं
प्रचलित हैं और लोगों में इसको लेकर जिज्ञासा भी है कि कृष्ण की 16,000
पत्नियां होने के पीछे राज क्या है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक सबसे पहले
कृष्ण ने रुक्मणि का हरण कर उनसे विवाह किया था।
बताया जाता है कि
एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान कृष्ण वन विहार के लिए निकले। जिस वन में
वे विहार कर रहे थे वहां पर सूर्य पुत्री कालिंदी, श्रीकृष्ण को पति रूप
में पाने की कामना से तप कर रही थी। कालिंदी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए
श्रीकृष्ण ने उसके साथ विवाह कर लिया। फिर एक दिन उज्जयिनी की राजकुमारी
मित्रबिन्दा को स्वयंवर से वर लाए। उसके बाद कौशल के राजा नग्नजित के सात
बैलों को एकसाथ नाथ कर उनकी कन्या सत्या से विवाह किया।
उसके बाद
उन्होंने कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह हुआ। भद्रदेश की राजकुमारी
लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी, लेकिन परिवार कृष्ण से विवाह के लिए राजी
नहीं था तब लक्ष्मणा को श्रीकृष्ण अकेले ही हरकर ले आए। इस तरह कृष्ण की
आठों पत्नियां थी- रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा,
सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक दिन देवराज
इंद्र ने भागवान कृष्ण को बताया कि प्रागज्योतिषपुर के दैत्यराज भौमासुर के
अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। कृपया आप हमें बचाइए।
इंद्र की प्रार्थना स्वीकार कर के श्रीकृष्ण अपनी प्रिय पत्नी सत्यभामा को
साथ लेकर गरुड़ पर सवार हो प्रागज्योतिषपुर पहुंचे। वहां पहुंचकर भगवान
कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर
के छ: पुत्र- ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार
किया।
मुर दैत्य के वध हो जाने का समाचार सुन भौमासुर अपने
सेनापतियों और दैत्यों की सेना को साथ लेकर युद्ध के लिए निकला। भौमासुर को
स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी
सत्यभामा को सारथी बनाया और घोर युद्ध के बाद अंत में कृष्ण ने सत्यभामा की
सहायता से उसका वध कर डाला।
इस तरह भौमासुर को मारकर श्रीकृष्ण ने
उसके पुत्र भगदत्त को अभयदान देकर उसे प्रागज्योतिष का राजा बनाया।
भौमासुर के द्वारा हरण कर लाई गईं 16,000 कन्याओं को श्रीकृष्ण ने मुक्त कर
दिया। ये सभी अपहृत नारियां थीं या फिर भय के कारण उपहार में दी गई थीं और
किसी और माध्यम से उस कारागार में लाई गई थीं।
सामाजिक मान्यताओं
के चलते भौमासुर द्वारा बंधक बनकर रखी गई इन नारियों को कोई भी अपनाने को
तैयार नहीं था, तब अंत में श्रीकृष्ण ने सभी को आश्रय दिया और उन सभी
कन्याओं ने श्रीकृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया।