कौनसी कुंडली सटीक - हस्तलिखित या कंप्यूटराइज्ड्

-आचार्य महेश व्‍यास- भीलवाडा


आज के दौर में जब हर चीज पर नए युग की छाप है तो इससे जन्म‍ कुंडली कैसी बच सकती है? ज्याेदातर लोग अपनी या बच्चोंय की जन्मेकुंडली कंप्यू्टर से बनवाना पसंद करते हैं। कितनी सटीक होती हैं कंप्यूपटर से बनी कुंडलियां? कितनी असरकारक होती हैं हस्तलिखित कुडलियां?


कम्प्यूटर
द्वारा निर्मित जन्म पत्रिका में प्रारम्क क्रिया जैसे, इष्टकाल, अक्षांश, रेखांश, स्थानिक समय संस्कार, स्थानिक समय, वेलान्तर, सूर्योदय, सूर्यास्त, दिनमान, सूर्य की स्थिति, साफ्टवेयर में फीड होती हैं। आधुनिक कुण्डली के निर्माण में जन्म स्थान, जन्म समय व दिनांक का महत्व होता है। इन सभी डाटा को साफ्टवेयर में डालने के बाद कम्प्यूटराइज्ड कुण्डली आपके सामने होती है। इस कुण्डली की खास बात यह होती है कि इसमें पुराने वर्षा का पंचाग, संवत्, मास, पक्ष, जन्म तिथि, जन्म नक्षत्र, योग, करण, आदि आपके सामने होते हैं।

हस्त लिखित कुण्ड़ली को प्राचीन समय में विद्वान बनाते थे। प्रत्येक ब्राह्मण हस्त लिखित कुण्डली का निर्माण बडे़ सरल तरीके से करता था। वही आज इन विद्वानो की संख्या में कमी आई है। इसका साफ और सीधा कारण है, कम्प्यूटराइज्ड कुण्डली जो प्राचीन हस्त लिखित शिक्षा को खत्म कर आधुनिक शिक्षा में अपने पाव पसार रही है। कम्प्यूटराइज्ड कुण्डली में उपलब्ध सारे प्रोग्राम को हस्त लिखित कुण्ड़ली में भी उकेरा जा सकता है। मगर हस्त लिखित कुण्ड़ली में मुख्य बातों का ही समावेश किया जाता है। इसलिये यह छोटी और कम पेज की होती है। कम्प्यूटराइज्ड कुण्डली में आवश्यकता से अधिक ज्योतिषीय साधन उपलब्ध होते है।

कितना सटीक है कम्प्यूटराइज्ड फलादेश
कम्प्यूटराइज्ड कुण्डली में गणित क्रिया का गलत होना लगभग अंसभव है। लेकिन हिन्दी फलादेष जातक के जीवन से बहुत कम मेल खाता है। हस्त लिखित कुण्ड़ली की खास बात यही होती है कि निर्माण कर्ता बहुत सटीक फलादेश करता है तथा वर्तमान गोचर ग्रहों की स्थीति को भी मध्य नजर रखता हुआ फलादेष करता है। कह सकते हैं कि हस्त लिखित कुण्डली बहुत सटीक साबित होती है। कम्प्यूटर से निर्मित कुण्ड़ली में गणित क्रिया तो सही होती है लेकिन जो इनमे लिखा हुआ हिन्दी फलादेष जातक के जीवन से कुछ कम मेल खाता है। देखने में आया हे कि कुछ साधारण साफ्टवेयर में अक्षांतर व देशान्तर सारणी व अन्य प्रोग्रामो का कम मेल जोल होता है। इनमें कुण्डली का निर्माण भी सही से नही होता है। फलादेश के लिए अपने इष्ट की कृपा के साथ साथ एकाग्रता भी जरूरी होती है क्योंकि फलादेश करने के लिए कई तथ्यो को ध्यान में रखना पड़ता है कम समय में अधिक बाते हमें याद आऐ इसके लिए शांत वातावरण का निर्माण भी जरूरी होता है।
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