जब गुरू कुंडली के 12 भावों में करे यात्रा, क्या शुभ-अशुभ हो सकता है?
Astrology Articles I Posted on 01-04-2017 ,17:23:57 I by: Amrit Varsha
देवों के देव गुरूदेव जब राशि के सभी भावोें में भ्रमण करता है तो कई तरह के योग बनते हैं, कुछ अच्छे भी और कुछ बुरे भी। आइए देखें गुरू का भावों में भ्रमण का प्रभाव-
1.जिस जातक के लग्न में गुरु (बृहस्पति) होता है। ऐसा जातक अपने गुणों से चारों ओर आदर की दृष्टि से देखा जाता है।
2. दूसरे भाव में हो तो जातक कवि होता है। उसमें राज्य संचालन करने की शक्ति होती है।
3. तीसरे भाव में हो तो वह जातक नीच स्वभाव का बना देता है। साथ ही उसे सहोदर भ्राताओं का सुख भी प्राप्त होता है।
4.चौथे भाव में हो तो व्यक्ति लेखक, प्रवासी, योगी, आस्तिक, कामी, पर्यटनशील तथा विदेश प्रिय तथा महिलाओं के पीछे-पीछे घूमने वाला होता है।
5. पांचवे भाव में हो तो ऐसा जातक विलासी तथा आराम प्रिय होता है।
6. छठे भाव में हो तो ऐसा जातक सदा रोगी रहता है। मुकदमे आदि में जीत हासिल करता है। शत्रुओं को मुंह के बल गिराने की क्षमता रखता है।
7. सातवें भाव में हो तो बुद्धि श्रेष्ठ होती है।
ऐसा व्यक्ति भाग्यवान, नम्र, धैर्यवान होता है।
8. आठवें भाव में हो तो दीर्घायु होता है तथा ऐसा जातक अधिक समय तक पिता के घर में नहीं रहता है।
9. नौवें भाव में हो तो सुंदर मकान का निर्माण करवाता है। ऐसा जातक भाई-बंधुओं से स्नेह रखने वाला होता है तथा राज्य का प्रिय होता है।
10.दसवें भाव में हो तो जातक को भूमिपति एवं भवन प्रेमी बना देता है। ऐसे व्यक्ति चित्रकला में निपुण होते है।
11. ग्यारहवें भाव में हो तो जातक ऐश्वर्यवान, पिता के धन को बढ़ाने वाला, व्यापार में दक्षता लिए होता है।
12. बारहवें भाव में हो तो ऐसा जातक आलसी, कम खर्च करने वाला, दुष्ट स्वभाव वाला होता है। लोभी-लालची होता है।
इस पेड की पूजा से लक्ष्मी सदा घर में रहेगी
3 दिन में बदल जाएगी किस्मत, आजमाएं ये वास्तु टिप्स शनि की साढे़साती के अशुभ फलों के उपाय