इस माला को धारण करने से मिलने लगती है समस्त कार्यों में सफलता
Astrology Articles I Posted on 20-08-2020 ,16:58:39 I by: vijay
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्फटिक को धन की देवी लक्ष्मी जी का स्वरुप
माना गया है, जिसे कंठ हार अर्थात माला के रूप में धारण किया जाता है।
स्फटिक
निर्मल, रंगहीन, पारदर्शी और शीत प्रभाव रखने वाला उप-रत्न है। आयुर्वेद
में स्फटिक का प्रयोग सभी प्रकार के ज्वर, पित्त प्रकोप, शारीरिक दुर्बलता
एवं रक्त विकारों को दूर करने के लिए शहद अथवा गौ मूत्र के साथ औषधि के रूप
में किया जाता है।
ज्योतिष की दृष्टि से स्फटिक को पूर्ण
विधि-विधान और श्रद्धाभाव के साथ कंठ हार के रूप में धारण करते रहने से
समस्त कार्यों में सफलता मिलने लगती है तथा विवाद और समस्याओं का अंत होने
लगता है।
स्फटिक की माला धारण करने से शत्रु भय भी नहीं रहता है।
किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए घर से बाहर जाने से पहले यदि माता लक्ष्मी जी
की पूजा-अर्चना करने के बाद स्फटिक की माला धारण करके जाया जाये तो वह
कार्य आसानी से पूरा हो सकता है और उस कार्य में सफलता मिल सकती है।
यदि
घर-परिवार में किसी कारण से आर्थिक संकट चल रहा हो तो स्फटिक रत्न को गंगा
जल से पवित्र करने के बाद मंत्रो से शुद्ध करके पूजा स्थल पर रखना शुभ
होता है।
धन प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी जी के मन्त्र " ॐ श्री लक्ष्मये नमः " का कम से कम एक माला जाप प्रतिदिन करना चाहिए।
व्यापारिक
प्रतिष्ठानों और दुकानों के स्वामी यदि पवित्र एवं मन्त्रों से सिद्ध की
गयी स्फटिक की माला अथवा स्फटिक रत्न को अपनी धन रखने की तिजोरी में रखें
तो आश्चर्यजनक रूप से व्यापार में लाभ मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यह
उपाय करते समय इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि जिस तिजोरी में स्फटिक माला
अथवा रत्न रखा जाये उसका दरवाजा उत्तर दिशा में ही खुले।
वास्तु
शास्त्र के अनुसार धन रखने की तिजोरी सदैव दक्षिण दिशा में ही रखनी चाहिए
जिससे कि जब उसे खोला जाये तो उसका दरवाजा या मुख उत्तर दिशा में ही खुले।
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