रुद्राक्ष धारण करने से मन और शरीर की नकारात्मक शक्ति
होती हैं दूर और वही...
Astrology Articles I Posted on 28-07-2019 ,15:40:09 I by: vijay
सावन (Sawan 2019) में शंकर भगवान (God Shiva) की विधि विधान से पूजा की
जाती है। भगवान शिव को रुद्राक्ष (Rudraksh) अतिप्रिय हैं। सावन का महीना
(Sawan Ka Mahina) चल रहा है, जो शिव आराधना का पावन समय है इसलिए
रुद्राक्ष को सावन में धारण करना शुभ माना गया है।
ऐसा माना जाता
है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू की बूंदों से हुई है। सावन
मास में रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही लाभकारी होता है। सावन में एक से लेकर
बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का अपना अलग महत्व है।
धार्मिक
मान्यता के अनुसार, शिव साक्षात रुद्राक्ष में वास करते हैं। इसलिए शिव और
रुद्राक्ष का संबंध अटूट है। तभी धार्मिक दृष्टिकोण से रुद्राक्ष बहुत
महत्वपूर्ण माना जाता है। रुद्राक्ष की पूजा और जप करने से करोड़ों पुण्यों
की प्राप्ति होती है।
रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के मन और शरीर की नकारात्मक शक्ति
दूर होती हैं वही इससे नकारात्मक विचार दूर होता हैं अनचाहे भय से भी
मनुष्य को मुक्ति मिल जाती हैं वही निराशा और आलस्य दूर हो जाता हैं मन में
कार्य करने की ऊर्जा का संचार भी होता हैं।
वही शिव महापुराण के मुताबिक
रुद्राक्ष एक मुखी से 38 मुखी तक होता हैं। और उन सबका प्रभाव अलग अलग देखा
जा सकता हैं।
वही भगवान शिव का रुद्राक्ष व्यक्ति की हर तरह की
परेशानी और समस्या को हरने की क्षमता रखता हैं ऐसा भी माना जाता हैं कि
रुद्राक्ष जितना छोटा होता हैं, उतना ही अधिक प्रभावशाली होता हैं यह
रुद्राक्ष सफलता, धन संपत्ति, मान सम्मान दिलाता हैं भगवान शिव ने समस्त
लोगो के कल्याण के लिए अपने नेत्रों से आंसू के रुप में रुद्राक्ष उत्पन्न
किए।
वही उनकी आंख से गिरे आंसू को एक मुखी रुद्राक्ष माना जाता हैं एक
मुखी रुद्राक्ष को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी रुद्राख माना जाता हैं।
वही
एक मुखी को साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना जाता हैं एक मुखी दो तरह के
दाने पर इस धरती पर पाए जाते हैं एक गोल आकार में होता हैं और दूसरा काजू
के आकार में, कहा जाता हैं कि एक मुखी रुद्राख धारण करने से व्यक्ति को सभी
तरह के पापों से मुक्ति मि जाती हैं और मन भी शांत हो जाता हैं घर में धन
का आगमन होने लगता हैं वही शरीर में उच्च रक्तचाप इसके धारण करने से धीरे
धीरे नियंत्रित होने लगता हैं वही शत्रु अपनी शत्रुता छोड़ देता हैं।
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