वास्तु: मुख्य द्वार के साथ सीढ़ियां बनाने से घर के सदस्यों को हो सकती हैं आर्थिक परेशानी

अक्सर आपने देखा होगा कि ज्यादातर लोग घर में जगह बचाने के लिए घर के मुख्य द्वार के पास सीढिय़ां बनवाई होती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह बहुत अशुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार के साथ सीढिय़ां बनाने से घर के सदस्यों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।


यदि आपके घर के उत्तर में कोई सडक़ है और घर का मुख्य द्वार उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में ऊंचे स्थान पर है और इसी दिशा में सीढ़ी भी है तो घर के मुखिया सहित पूरा परिवार परेशान व बीमार हो सकता है। वास्तु के इस दोष से मान सम्मान में भी कमी आएगी।

इसके दोष को कम करने लिए सीढ़ी उत्तर पूर्व दिशा से एक फीट दूरी पर बनाएं। इसके अलावा मुख्य दरवाजा उच्च स्थान पर ही रखें और सीढी को पश्चिम की दीवार के साथ बनाएं। यदि आपके घर के दक्षिण में कोई सडक़ है।

घर का मुख्य द्वार दक्षिण या दक्षिण पूर्व के उंचे स्थान पर है और सीढ़ी भी इसी कोने में है तो यह घर की महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए अशुभ है। ऐसे वास्तु दोष के कारण घर की महिलाएं बीमार रहती हैं और पुरुष के साथ डर, कर्जा, मानसिक अंशाति, आग व चोरी जैसी घटनाएं होती हैं। यह वस्तु दोष दूसरी संतान के जीवन में समस्याएं पैदा होने का भी कारण बनता है।

इस दोष को दूर करने के लिए सीढ़ी को दक्षिण पूर्व कोने से सटते हुए न बनाएं। दक्षिण- पश्चिम में सडक़ वाले घर के मुख्य द्वार और सीढ़ी दक्षिण दिशा में होने पर घर की मुख्य महिला और उस घर की बेटी बीमार रहती हैं। उनका स्वभाव भी चिडचिड़ा होता है।

उत्तर- पश्चिम में सडक़ वाले घर का मुख्य द्वार व सीढ़ी एक साथ उत्तर दिशा में बने होने के कारण धन की कमीं होती है।

जिन घरों की पश्चिम दिशा में सडक़ होती है उन घरों का मुख्य दरवाजा और सीढ़ी यदि पश्चिम और उत्तर- पश्चिम के उंचे स्थान पर है तो दीवालिया होने की संभावना रहती हैं।

यदि घर की उत्तर-पूर्व दिशा में सडक़ है और घर का मुख्य दरवाजा और सीढ़ी पूर्व कोने के उंचे स्थान में बनीं है तो यह बहुत अशुभ है। क्योंकि इस कारण से घर के पुरूषों को गंभीर बीमारी, धन की कमी, कोर्ट केस और प्रशासनिक समस्या जैसी परेशानी हो सकती है। वास्तु के अनुसार इस दोष से बचने के लिए सीढ़ी को दरवाजे से थोड़ा दूर बनवाएं।
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