व्यापार की बाधा, मानसिक चिंता और धनलाभ पाने के लिए महादेव को यूं रिझाएं

महाशिव रात्रि अपने आप में विशेषकर पुण्यदायक साधना पर्व है क्योंकि शिव वही है, जिन्होंने रावण को अटूट बल दिया। मार्कण्डेय को अपना कर यमराज से मुक्ति दिलवाई। परशुराम को बलशाली बनाया और समस्त दीन-दुखियों, दरिद्र प्राणियों, संकटग्रस्त जीवों, लावारिसों आदि समस्त प्राणियों के जीवन की रक्षा कर उन्‍हें समृद्ध बनाते हैं।


शिव का अर्थ मंगलमय और मंगलदाता है। शिव के इस मंगलमय रूप की उपासना समस्त जातकों, सिद्धों और साधकों के लिए मंगलमय है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से साधुओं को मोक्ष प्राप्ति, रोगियों को रोगों से मुक्ति, सभी साधकों को मनवांछित फल प्राप्ति होती है। भगवान शिव की पूजा गृहस्थ जातकों के लिए जरूरी कही जा सकती है। इस दिन पूजा करने से गृहस्थ जीवन में चल रहा मतभेद, पूर्व गृहस्थ सुख, अखंड सौभाग्य की प्राप्ति आदि शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भगवान शिव कई रूपों में जातक की मनोकामना पूरी करते है। वहीं महामृत्युंजय रूप में शिव अनेक रोगों का भी हरण करते हैं। शिव एक मात्र ऐसे परमबह्म हैं, जो साधक की कामना से क्षण भर में प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्राप्ति का वर दे देते हैं।

शारीरिक पीड़ा, अकाल मृत्यु दूर करने के लिए
अनेक जातकों की कुंडली में कुछ ऐसे अशुभ योग होते हैं, जिनके कारण उनकी आकस्मिक मृत्यु या उन्हें आकस्मिक मृत्युतुल्य कष्ट होता है। ऐसी स्थिति में शिवपूजा से ही समस्त बाधाओं का निवारण किया जा सकता है। शिवरात्रि के दिन शिव भगवान की प्रतिमा और महामृत्युंजय यंत्र को लाल रंग के वस्त्र पर बिछाकार रखें, उसके बाद विधि-विधान से उसकी पूजा अर्चना कर इस मंत्र का जाप करें- ओम हौं जूं: स: ओम भूर्भव: स्व: ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम् पुष्टिवद्र्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्युर्मुक्षीय मामृतात्। ओम स: भूर्भव: भू: ओम स: जूं: हौम ओम । मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

व्यापार बाधा की समाप्ति के लिए
अक्सर यह देखने में आता है कि किसी जातक का अच्छा चलता हुआ व्यवसाय रूक जाता है। कभी-कभी व्यवसाय में विशेष हानि हो जाती है। इन समस्त समस्याओं का निवारण शिवरात्रि के दिन शिव के आशीर्वाद स्वरूप से ही हो जाता है। इसके लिए व्यापार वृद्धि यंत्र लगाकर पूजा करें। इस मंत्र की एक माला का जाप करें। ओम हृीं क्लीं नित्य दर्शनाय क्लीं हृीं ओम । माला जपने के बाद व्यापार वृद्धि यंत्र को व्यापार क्षेत्र में स्थापित करें।

मानसिक बाधा, चिंता दूर करने के लिए
आज के दौर में ज्यादातर लोग डिप्रेशन, मानसिक चिंता और सिरदर्द जैसे कई रोगों से परेशान रहते हैं। मानसिकता का संकीर्ण होना किसी कार्य में मन नहीं लगना, दिन भर व्यर्थ में घूमना। इस तरह के विकारों से बचने के लिए शिव पूजा करना अति श्रेष्ठ होता है। इसके लिए पारद शिवलिंग की पूजा करें। उसके बाद निम्न मंत्र की एक माला का जाप करें। ओम सदाशिव भव  फट। एक माला जप करने के बाद पारद शिवलिंग को पूजाकक्ष में स्थापित करें। नित्य प्रति शिवपूजा करें। ऐसा करने से अशुभ फलों से निवारण संभव होता है।

मुकदमेबाजी और कलह से छुटकारा
कभी-कभी अनायास ही कुछ लोग मुकदमेबाजी में फंस जाते हैं। केसबाजी में कई लोगों को कभी-कभी बेहद तकलीफ भी उठानी पड़ती है। पारिवारिक या पैतृक सम्पत्ति के लिए घर में कलह होता है, मुकदमेबाजी होती है। यदि कोई जातक इस तरह की भयानक समस्या से पीडि़त हो तो पांचमुखी रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करके निम्न मंत्र से शिव की पूजा करना अतिश्रेष्ठ होता है।  ओम क्रीं नम: शिवाय क्रीं । इस मंत्र की माला जप पांचमुखी रूद्राक्ष माला से करें और फिर उसे गले में धारण करें। सभी अशुभ फलों में कमी होकर शुभ फल प्राप्त होंगे।

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए
कालसर्प दोष की मुक्ति के लिए शिवरात्रि के दिन भोर के समय शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग पर सबसे पहले दूध और फिर जल से स्नान करवाएं। शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। पूजा की आखिर में धतूरा चढ़ाते हुए निम्न मंत्र की एक माला का जाप करें। नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गराय महेश्वराय, नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नम: शिवाय। इससे कालसर्प के अशुभ दोष से मुक्ति मिलती है।

इच्छित कार्य की पूर्ति के लिए
मनोकामना पूरी करने के लिए शिवरात्रि के दिन हल्दी की तीन पुडिय़ा बनाएं। शिव-पार्वती की तस्वीर के सामने अपनी समस्या के निवारण के लिए संकल्प करें। उसके बाद एक पुडिय़ा पार्वती माता के चरणों में रखें। दूसरी पुडिय़ा को जल में प्रवाहित करें। तीसरी पुडिय़ा हमेशा अपने पास रखें। ऐसा करने से निश्चित रूप से समस्त इच्छित कार्यो की पूर्ति होगी। इच्छा पूर्व होने के बाद पार्वती मां के चरणों में रखी पुडिय़ा और स्वयं के पास रखी पुडिय़ा, दोनों को मिलाकर जल में प्रवाहित करें।

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