कल है प्रबोधिनी एकादशी, घर में 9 निद्ध और 12 सिद्ध करने के लिए करें ये उपाय, रहेंगे हमेशा मालामाल
Astrology Articles I Posted on 30-10-2017 ,16:46:47 I by: Amrit Varsha
कल है प्रबोधिनी एकादशी यानी देवउठनी एकादशी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो कोई भी जातक भगवान की प्राप्ति के लिए दान, तप, होम, यज्ञ आदि करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन मनुष्य को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। रात्रि को भगवान के समीप गीत, नृत्य, कथा-कीर्तन करते हुए रात्रि व्यतीत करने से घर में नौ निद्ध और बारह सिद्ध यानी कि खुशहाली बसने लगती है।
प्रबोधिनी एकादशी के दिन पुष्प, अगर, धूप आदि से भगवान की आराधना करनी चाहिए, भगवान को अध्र्य देना चाहिए। इसका फल तीर्थ और दान आदि से करोड़ गुना अधिक होता है। यह भी कहा जाता है कि जो गुलाब के पुष्प से, बकुल और अशोक के फूलों से, सफेद और लाल कनेर के फूलों से, दूर्वादल से, शमीपत्र, चम्पकपुष्प से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, वे आवागमन के चक्र से छूट जाते हैं।
इस प्रकार रात्रि में भगवान की पूजा करके प्रात: काल स्नान के बाद भगवान की प्रार्थना करते हुए गुरु की पूजा करनी चाहिए और सदाचारी व पवित्र ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर अपने व्रत को छोडऩा चाहिए। जो मनुष्य चातुर्मास्य व्रत में किसी वस्तु को त्याग देते हैं, उन्हें इस दिन से पुन: ग्रहण करनी चाहिए।
धार्मिक ग्रंथों में तो यहां तक कहा गया है कि जो व्यक्ति प्रबोधिनी एकादशी के दिन विधिपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें अनन्त सुख मिलता है और अंत में स्वर्ग जाकर श्रीहरि का सान्निध्य पाते हैं।
क्या है शुभ मुहूर्त
देव उठनी एकादशी के दिन सायंकाल शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल को स्वच्छता के साथ साफ कर लें तथा आटा एवं गेरू (लाल रंग) से भगवान के जागरण व स्वागत के लिए रंगोली बनाएं, प्रतीक स्वरुप भगवान के पैर मांडें। ग्यारह घी के दीपक देवताओं के निमित्त जलाएं। हल्दी एवं गुड़ से पूजा करें। भगवान के भोग में ऋतु फल, लड्डू, पतासे, गुड़, मूली, गन्ना, ग्वारफली, बेर, नवीन धान्य इत्यादि समस्त पूजा सामग्री तथा प्रसाद रखें। शुद्ध जल, सफेद वस्त्र, धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, पुष्पमाला, अक्षत, रोली, मोली, लौंग, पान, सुपारी, हल्दी, नारियल, कपूर, पंचामृत, इत्यादि पूजा सामग्री से देवताओं का पूजन कर उन्हें रिझाने का प्रयास करें।
तुलसी विवाह से होंगे सभी पीडा दूर
इस दिन देवी-देवताओं से वर्ष पर्यन्त सुख समृद्धि की कामना करें। विवाह योग्य संतानों का शीघ्र विवाह हो तथा विवाहितों के उत्तम संतान हों, ऐसी कामना के साथ देवताओं की स्तुति तथा गुण-गान करें।
पद्मपुराण के अनुसार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष में देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी शालिग्राम के विवाह का महत्व है। यह महत्व प्रकृति और परमात्मा में सामंजस्य का दिन है। ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह के संकल्प और उसे पूरा करने से व्यक्ति सुखी तथा समृद्ध होता है। संकल्प पूर्ण करने में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। विवाह योग्य जिन बच्चों की जन्म कुंडली में मांगलिक दोष के कारण विघ्न आ रहा हो उनके द्वारा तुलसी शालिग्राम विवाह करने से मांगलिक दोष का परिहार होता है। इसी प्रकार जिन दम्पत्तियों को कन्या सुख प्राप्त नहीं है, उन्हें तुलसी विवाह करने से कन्या दान का फल मिलता है। तुलसी विवाह के दिन वस्त्र आदि से तुलसी शालिग्राम का श्रृंगार करें। सायंकाल तोरण तथा ईख (गन्ने) का मंड़प बनवाकर गणपति मातृकाओं आदि का पूजन के बाद विधिवत तुलसी विवाह करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और इस दिन का विशेष लाभ उठाएं।
इस मंत्र से श्रीहरि को जपें
जागरण मंत्र- उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते। त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत्सुप्तमिदंभवेत।। उत्तिष्ठोत्तिष्ठ वाराह दंष्ट्रोद्धत वसुंधरे। हिरण्याक्ष प्राणिघातिन्त्रैलोक्ये मंगलमकुरु।।
भगवान विष्णु को चार माह की योग निद्रा से जगाने के लिए घंटा, शंख, मृदंग, नगाड़े आदि वाद्यों की मंगल घ्वनि के बीच ये श्लोक पढऩा चाहिए।
करें ये चमत्कारी उपाय
1. दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर श्री विष्णु जी का जल से अभिषेक करें। इससे भगवान विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और हजारो जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
2. किसी ब्राह्मण को दक्षिणा दें, और भोजन करायें। ऐसा करने से आपके सभी मनोरथ पूर्ण होंगे।
3. आप आमदनी में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो 7 कन्याओं को भोजन कराएं। भोजन में खीर को अवश्य शामिल करें, ऐसा करने से कुछ ही दिनों में आप जिस काम के लिए कोशिश कर रहे हैं, वह पूरा होगा।
4. नारियल व बादाम चढ़ाये। इससे रूकें हुये काम बनते हैं।
5. तुलसी पौधे के नीचे गाय के घी का दीपक जलाएं और ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र से पूजा करें। ऐसा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
6. पूजा में बेलपत्र, शमी के पत्ते, तुलसी आदि को जरूर शामिल करें। विष्णु भगवान को तुलसी के पत्ते चढ़ाने से वह बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं।
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