आज राधारानी का है जन्मदिन, इनको करें प्रसन्न, श्री कृष्णा भर देंगे झोली
Astrology Articles I Posted on 29-08-2017 ,13:25:39 I by: Amrit Varsha
भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कि आज श्री कृष्ण की प्राणप्रिया राधाजी का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार राधाजी भी श्री कृष्ण की तरह ही अनादि और अजन्मी हैं। वे बृज में वृषभानु वैश्य की कन्या हुईं । उनका जन्म माता के गर्भ से नहीं हुआ बल्कि माता कीर्ति ने अपने गर्भ में वायु को धारण कर रखा था और योगमाया की प्रेरणा से कीर्ति ने वायु को जन्म दिया। लेकिन वायु के जन्म के साथ ही वहां राधा, कन्या के रूप में प्रकट हो गईं इसलिए श्री राधा रानी को देवी अयोनिजा कहा जाता है। बारह वर्ष बीतने पर उनके माता-पिता ने रायाण वैश्य के साथ उनका सम्बन्ध निश्चित कर दिया। उस समय श्री राधा घर में अपनी छाया को स्थापित करके स्वयं अंतर्धयान हो गईं। उस छाया के साथ ही उक्त रायाण का विवाह हुआ। शास्त्रों की मानें तो ब्रह्माजी ने पुण्यमय वृन्दावन में श्री कृष्ण के साथ साक्षात राधा का विधिपूर्वक विवाह संपन्न कराया था। कहते हैं इन्हें प्रसन्न करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होकर सभी मनचाही इच्छाएं पूरी करते हैं।
कृष्ण की पूजनीय है राधा
कार्तिक की पूर्णिमा को गोलोक के रासमण्डल में श्री कृष्ण ने राधाजी का पूजन किया । उत्तम रत्नों की गुटिका में राधा-कवच रखकर गोपों सहित श्री कृष्ण ने उसे अपने कंठ और दाहिनी बांह में धारण किया । भक्तिभाव से उनका ध्यान और स्तवन कर राधा के चबाए ताम्बूल को लेकर स्वयं ने खाया। राधाजी कृष्ण की प्रियतमा हैं,वे श्री कृष्ण के वक्षःस्थल में वास करती हैं अर्थात उनके प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं। ये कृष्णवल्लभा हैं क्योंकि श्री कृष्ण को ये आनंद प्रदान करती हैं। राधा श्री कृष्ण की आराधना करती हैं और श्री कृष्ण राधा जी की।
ये दोनों परस्पर आराध्य और आराधक हैं अर्थात दोनों एक दूसरे के इष्ट देवता हैं । शास्त्रों के अनुसार पहले राधा नाम का उच्चारण करने के पश्चात कृष्ण नाम का उच्चारण करना चाहिए । इस क्रम का उलटफेर करने पर प्राणी पाप का भागी होता है। एक बार भगवान शंकर ने श्री कृष्ण से पूछा कि प्रभो! आपके इस स्वरुप की प्राप्ति कैसे हो सकती है ? श्री कृष्ण ने उत्तर में कहा कि हे रूद्र! मेरी प्रिया राधा का आश्रय लेकर ही तुम मुझे अपने वश में कर सकते हो अर्थात मुझे प्रसन्न करना है तो राधा रानी की शरण में जाओ।
शास्त्रों में श्री राधाजी की पूजा को अनिवार्य मानते हुए कहा है कि श्री राधा जी की पूजा न की जाए तो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार भी नहीं रखता । स्वयं श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं राधा नाम लेने वाले के पीछे चल देता हूँ। अतः परमेश्वर श्री कृष्ण इनके अधीन रहते हैं ।
राधे रानी को करें प्रसन्न -
इस दिन व्रत रखकर यथाविधि राधाजी की पूजा करनी चाहिए व श्री राधामन्त्र ॐ राधायै स्वाहा का जाप करना चाहिए।
राधाजी श्री लक्ष्मी का ही स्वरुप हैं अतः इनकी पूजा से धन-धान्य व ऐश्वर्य प्राप्त होता है । राधा नाम के जाप से श्री कृष्ण जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं । नारद पुराण के अनुसार राधाष्टमी व्रत करने से प्राणी बृज का रहस्य जान लेता है तथा राधा परिकरों में निवास करता है ।
ये तीन चीजें करती हैं मां लक्ष्मी को आने को विवश केवल 3 सिक्के चमका सकते हैं किस्मत 3 दिन में बदल जाएगी किस्मत, आजमाएं ये वास्तु टिप्स