सुख—शांति और धन पाने के लिए ये 'उतारे' हैं जरूरी

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार में उतारा शब्द का मतलब व्यक्ति विशेष पर हावी बुरी हवा या बुरी आत्मा, नजर आदि के प्रभाव को उतारने से है। उतारा करने से घर में सुख—शांति और धन का भी आगम होने लगता है। उतारे अक्सर मिठाइयों द्वारा किए जाते हैं।



किस दिन किस मिठाई से करें उतारा

रविवार को नमक अथवा सूखे फलयुक्त बर्फी से उतारा करना चाहिए।
सोमवार को बर्फी से उतारा करके बर्फी गाय को खिला दें।
मंगलवार को मोती चूर के लड्डू से उतार कर लड्डू कुत्ते को खिला दें।
बुधवार को इमरती से उतारा करें व उसे कुत्ते को खिला दें।
गुरुवार को सायं काल एक दोने में अथवा कागज पर पांच मिठाइयां रखकर उतारा करें और उतारे के बाद उसमें छोटी इलायची रखें व धूपबत्ती जलाकर किसी पीपल के वृक्ष के नीचे पश्चिम दिशा में रखकर घर वापस जाएं-ध्यान रहे-वापस जाते समय पीछे मुड़कर न देखें और घर आकर हाथ और पैर धोकर व कुल्ला करके ही अन्य कार्य करें।
शुक्रवार को मोती चूर के लड्डू से उतारा कर लड्डू कुत्ते को खिला दें या किसी चौराहे पर रख दें।
शनिवार को उतारा करना हो तो इमरती या बूंदी का लड्डू प्रयोग में लाएं व उतारे के बाद उसे कुत्ते को खिला दें।
रविवार को सहदेई की जड़, तुलसी के आठ पत्ते और आठ काली मिर्च किसी कपड़े में बांधकर काले धागे से गले में बांधने से ऊपरी हवाएं सताना बंद कर देती हैं।

उतारा करने की विधि
उतारे की वस्तु सीधे हाथ में लेकर नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति के सिर से पैर की ओर 7 सात या 11 ग्यारह बार घुमाई जाती है इससे वह बुरी आत्मा उस वस्तु में आ जाती है। उतारा की क्रिया करने के बाद वह वस्तु किसी चौराहे, निर्जन स्थान या पीपल के नीचे रख दी जाती है और व्यक्ति ठीक हो जाता है।

नजर उतारने में खासा उतारा
किसी की नजर उतारने के लिए कपूर, बूंदी का लड्डू, इमरती, बर्फी, कड़वे तेल की रूई की बाती, जायफल, उबले चावल, बूरा, राई, नमक, काली सरसों, पीली सरसों मेहंदी, काले तिल, सिंदूर, रोली, हनुमान जी को चढ़ाए जाने वाले सिंदूर, नींबू, उबले अंडे, गुग्गुल, शराब, दही, फल, फूल, मिठाइयों, लाल मिर्च, झाडू, मोर छाल, लौंग, नीम के पत्तों की धूनी आदि का प्रयोग किया जाता है।
स्थायी व दीर्घकालीन लाभ के लिए
संध्या के समय गायत्री मंत्र का जप और जप के दशांश का हवन करना चाहिए। मानसिक शान्ति और सम्पन्नता के लिए पूर्णमासी को सत्यनारायण की कथा स्वयं करें या किसी कर्मकांडी ब्राह्मण से सुनें तथा संध्या के समय घर में दीपक जलाएं, प्रतिदिन गंगाजल छिड़कें और नियमित रूप से गुग्गुल की धूनी दें-प्रतिदिन शुद्ध आसन पर बैठकर सुंदर कांड का पाठ करें-किसी के द्वारा दिया गया सेव व केला न खाएं-रात्रि बारह से चार बजे के बीच कभी स्नान न करें।
धन्वन्तरि पूजन

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