भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए देवोत्थनी एकादशी पर करें ये खास उपाय
Astrology Articles I Posted on 09-11-2016 ,21:43:43 I by: Amrit Varsha
देशभर में 11 नवंबर को कार्तिक एकादशी मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु वर्ष के चार माह शेषनाग की शय्या पर सोने के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उठ जाते हैं। इसलिए इस दिन को देवोत्थान, देव प्रबोधिनी या देव उठनी एकादशी भी कहते हैं।
सर्वकामना सिद्धि के लिएविष्णु ध्यान
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को सर्वकामना सिद्धि के लिए भगवान विष्णु की स्तुतिपरक इस श्लोक का 21 बार पाठ करें-
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारंम गगनसदृशं मेधवर्णं शुभांगम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिध्र्यानगम्यं वन्देविष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
संतति सुख, अटूट दाम्पत्य व घर की शांति के लिए इस श्लोक का 51 बार पाठ करें
मूकं करोति वाचालं पंगुलंघयतेगिरिम्।
यत्कृपा तंहम् वन्दे परमानन्दं माधवम्।।
अकाल मृत्यु निवारण, शारीरिक स्वास्थ्य व भवन दोष निवारण के लिए
शशंक चक्रं किरीटकुंडलं सपीतवस्त्रं सरसिरूहेक्षणं।
सहस्त्राक्षवक्षस्थलकौस्तुभश्रियं नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम्।।
देव उठनी पर विशेष पूजाविधि
इस दिन सायंकाल शुभ मुहूत्र्त में पूजा स्थल को स्वच्छता के साथ साफ कर लें तथा चूना एवं गेरू (लाल रंग) से भगवान के जागरण व स्वागत के लिए रंगोली बनाएं। ग्यारह घी के दीपक देवताओं के निमित्त जलाएं। भगवान के भोग में ऋतु फल, लड्डू, पतासे, गुड़, मूली, गन्ना, ग्वारफली, बेर, नवीन धान्य इत्यादि समस्त पूजा सामग्री तथा प्रसाद रखें। शुद्ध जल, सफेद वस्त्र, धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प, पुष्पमाला, अक्षत, रोली, मोली, लोंग, पान, सुपारी, हल्दी, नारियल, कपूर, पंचामृत, इत्यादि पूजा सामग्री से देवताओं का पूजन करें। भगवान विष्णु को चार माह की योग निद्रा से जगाने के लिए घंटा, शंख, मृदंग, नगाड़े आदि वाद्यों की मंगल घ्वनि के बीच ये श्लोक पढ़कर जगाते हैं। फिर भजन कीर्तन व मांगलिक गीत गाए जाते हैं।