इन स्रोतों के स्‍मरण मात्र से मिलती हैं सिद्धियां बरसता है धन

मंत्रों का जाप करने से जहां देवताओं को रिझाया जा सकता है वहीं स्रोतों के स्मरण करने भर से देवी-देवता प्रसन्न होने लगते हैं। बात करते हें कुछ ऐसे प्रभावशाली स्रोतों के बारे में जिनको पठन से दौलत, शोहरत और सभी मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं-


श्री गणेश स्त्रोत का पाठ श्री गणेश स्त्रोत का पाठ पुत्र प्राप्ति, विद्या प्राप्ति के लिए करना उत्तम रहता है। सर्वप्रथम लाल वस्त्र पर गणपतिजी की स्थापना करें पूजन में पूजन सामग्री के साथ - साथ दूर्वा अर्पण कर व नैवेध में मोदक अर्पण करे गणपति जी को तुलसी नहीं चढ़ाऐ घी का दीपक लगाकर श्री गणपति स्तोत्र का पाठ अपनी श्रद्धा अनुसार प्रारम्भ कर दें।

श्री शिव स्तोत्र शिव पन्चाक्षरस्त्रोत व शिवमहिमन स्त्रोत का पाठ समस्त पापों से मुक्त कर शिव लोक की प्राप्ति करता है। भगवान शिव मंदिर में प्रतिदिन कच्चे दूध ओर पंचामृत से भगवान शंकर का सुक्ष्म अभिषेक करे। इन्हे जल्द ही प्रसन्न करने के लिए नीलकमल पुष्प का प्रयोग करे। यदि ये ना मिले तो बिल्वपत्र, कनेर, शमी पत्ता, इनका उपयेग भी कर सकते है।

श्री देवी स्तोत्र देव्यपराधक्षमापन स्त्रोत का पाठ करने से समस्त अपराध समाप्त होते है। प्रत्येक रविवार को देवी का दिन माना जाता है। माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए ओर अपने अपराधो को क्षमा करने के लिए सक्षम व्यक्तियों को एक बार अपने निवास स्थान पर ‘‘दुर्गासप्तशती’’ पाठ का आयोजन कराना चाहिए। देवी को प्रसन्न करने के लिए शमी, केवड़ा, अर्पित करने चाहिए देवी को दूर्वा, और तुलसी अर्पण नहीं करें। नेवैध में खीर का अर्पण करे।

श्री नवग्रह स्तोत्र नवग्रह स्त्रोत का पठन करनेसे नवग्रह अपने अनुकूल होते हैं। सप्ताह के अलग - 2 दिन नवग्रह के होते है। नवग्रह को अनुकूल करने के लिए ग्रह संबधी दान को देना लाभकारी सिद्ध होता है। राहु ओर केतु के दिन क्रमशः बुधवार व गुरूवार होते है। नवग्र्रह के दिन अनुकूल बनाने के लिए नवग्रह स्तोत्र का पाठ उत्तम रहता है।

श्रीराम रक्षा स्तोत्र  का पठन करने से कुल परिवार की आधा/बाधा समाप्त होती है। रामरक्षा स्त्रोत अपने आप में ही प्रभावशाली सिद्ध होता है। इसका पाठ पित्रों की शान्त ओर वंश वृद्धि के लिए भी किया जाता है। तथा प्रभु श्रीराम की शक्तियों के बराबर इसमें तेज और अखण्डता का फल प्राप्त होता है।

श्री लक्ष्मी स्तोत्र लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए। भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्ति एक साथ हो यदि चांदी की है तो ज्यादा उत्तम रहता है। माता लक्ष्मी को कमल गट्टे या कमल फूल का अर्पण करे। शिघ्र प्रसन्न करने के लिए शंख मंदिर में भेंट करे। विष्णु लक्ष्मी मंदिर में कभी भी खड़े - 2 पाठ या स्तुति नहीं करे। नव- विवाहित दंपत्ती को विष्णु - लक्ष्मी मंदिर में तुलसी का गमला या पौधा जरूर लगाना चाहिए। ताकि लक्ष्मी का स्थायी निवास जल्दी ही अपने घर में हो जाए।

कुछ अन्य स्त्रोत पाठ
लक्ष्मी की पूर्ण कृपा के लिए श्री कनक धारा स्त्रोत या श्री सुक्त का पाठ करना भी उत्तम रहता है। व्यापारी वर्ग को श्री सुक्त पाठ करना लाभकारी रहता है। श्री कृष्णाष्टकम् का पाठ लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
भैंरवाष्टकम् का पाठ शत्रु - भय व चोरी भय को समाप्त करता है। गजेन्द्र मोक्ष का पाठ पित्रों की शान्ती के लिए विशेष पूर्णिमा या अमावस्या को शिघ्र फलदायी रहता है।
फल श्रुति :- स्तोत्र, कवच पाठ के बाद फल श्रुति का करना चाहिए फल-श्रुति के बीना हमारे द्वारा किये गये पाठ अधूरे ही रहते है। अपने इष्ट की आराधना करते वक्त या अन्य देवों को प्रसन्न करने के लिए पाठ-पूजन के साथ - 2 यदि उन्हीं का स्त्रोत पढ़ा जाएं तो आपके आराध्य जल्द ही प्रसन्न होंगे।

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