आज अमावस से शुरू हुए गुप्त नवरात्र, इन चमत्कारिक मंत्रों के जाप से पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

आज से शुरू हुए नवरात्र 2 जुलाई तक चलेंगे। नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। इसमें विशेषकर तांत्रिक साधना, शक्ति साधना, महाकाल आदि की पूजा का महत्व होता है। इसमें बहुत ही कड़ी साधना और व्रत होता है। जिसके कारण उस साधक को दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति होती है। नवरात्र में भी गुप्त नवरात्र का खासा महत्त्व है। कहते हैं कि जो कोई भी इन नौ दिनों में सच्ची श्रद्धा के साथ दस महाविद्याओं में से किसी एक की भी पूजा-साधना करके घर में उसका यंत्र स्थापित करता है, उसकी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है और घर में सुख-समृद्धि आ बसती है।


दुख, गरीबी, निदान व शत्रुनाश और बलवृद्धि के लिए दो वर्ष की कन्या कुमारी को इस मंत्र का उच्चारण कर नौ दिन तक पूजन करना चाहिए।
ओम सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिस्वरूपिणी।
पूजां गृहाण कौमारि! जगन्मातर्नमोस्तु ते।।

अकाल मृत्यु निवारण व त्रिवर्ग फल प्राप्ति के लिए तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति की नौ दिन तक इस मंत्र से पूजा करनी चाहिए।
ओम त्रिपुरां त्रिपुराधारां त्रिवर्षां ज्ञानरूपिणीम्।
त्रैलोक्यवंदिन्तां देवीं त्रिमूर्तिं पूजयाम्यहम्।।

धन-धान्य की प्राप्ति व पुत्र-पौत्र आदि की अभिवृद्धि के लिये चार वर्ष की कन्या कल्याणी की नौ दिन तक इस मंत्र से पूजा करनी चाहिए।
ओम कलात्मिकां कलातीतां कारूण्यसदयां शिवाम्।
कल्याण जननी देवीं कल्याणीं पूजयाम्यहम्।।

आरोग्य, शांति, यशप्राप्ति व रोजगार और राजनीति आदि पदों पर नियुक्ति आदि के लिए पांच वर्ष की कन्या रोहिणी नौ दिन तक भोजन करवा कर पूजन करना चाहिए।
ओम अणिमादिगुणाधाराम् अकारा द्रक्षयात्मिकाम।
अनन्तशक्तिकां लक्ष्मी रोहिणीं पूजम्याहम्।।

विद्या, विजय व राज्य प्राप्ति के लिए छह वर्ष की कन्या कालिका का नौ दिन तक इस मंत्र का उच्चारण के साथ पूजन करना चाहिए।
ओम कामचारां शुभां कान्तां कालचक्रस्वरूपिणीम्।
कामदां करूणादारां कालिकां पूजयाम्यहम्।।

राजवर्ग को अपने अनुकूल बनाने, देश से आतंकवाद आदि का खात्मा करने व खिलाडिय़ों की विजय श्री आदि के लिए सात वर्ष की कन्या चंडिका का नौ दिन तक इस मंत्रोच्चारण के साथ पूजन करना चाहिए।
ओम चंडवीरां चंडमायां चंडमुंडप्रभंजनीम्।
पूजयामि सदा देवीं चंडिकां चंडविक्रमाम्।।

अपने किए पापों के नाश, प्रायश्चित और शत्रु पराजय के लिए आठ वर्ष की कन्या सांभवी की नौ दिन तक पूजा करनी चाहिए।
ओम सदानंदकरीं शांतां सर्वदेव वनमस्कृताम्।
सर्व भूतात्मिकां लक्ष्मीं शाम्भवीं पूजयाम्यहम्।।

अपनी दुर्गति के क्षरण, मस्तिष्क व मानसिक रोग, टाइफाइड या इससे सम्बंधी पुराने आंतरिक ज्वर शमन के लिए नौ दिन तक नौ वर्ष की कन्या दुर्गा का दिन तक पूजन करना चाहिए।
ओम दुर्गमे दुस्तरे कार्ये भव दुख विनाशिनीम्।
पूजयामि सदा भक्तया दुर्गां दुर्गति नाशिनीम।।

विवाहिताओं को सुहागिनी बने रहने, सौभाग्य, मनोकामना पूर्ण व धनागम के लिए दस वर्षीय कन्या सुभद्रा का नौ दिन तक पूजन करना चाहिए-
ओम सुन्दरीं स्वर्णवर्णाभां सुखसौभाग्यदायिनीम्।

सुभद्रा जननीं देवीं सुभद्रां पूजयाम्यहम्।।
नौ दिन तक अपनी बाधा व समस्या के अनुसार देवी की प्रतिमा के समक्ष उक्त मंत्रों का वाचन करें।

दुर्गा पाठ में रखें सावधानी
सप्तशती की पुस्तक को हाथ में लेकर पाठ करना वर्जित है। अत: पुस्तक को किसी आधार पर रखकर ही पाठ करना चाहिए। मानसिक पाठ नहीं करे वरन् पाठ मध्यम स्वर से स्पष्ट उच्चारण सहित बोलकर करना चाहिए। अध्यायों के अंत में आने वाले इति, अध्याय: एवं वध: शब्दों का प्रयोग वर्जित है। दुर्गा पाठ को देवी के नवार्ण मंत्र ओम ऐं ह्नी क्लीं चामुण्डायै विच्चे से संपुटित करें यानी पाठ के ठीक पहले और तुरन्त बाद इस मंत्र के 108 बार जप करें। नौ अक्षरों के उक्त नवार्ण मंत्र के जाप में अन्य मंत्रों की तरह ओम नहीं लगता है। अत: इसे प्रणव ओम रहित ही जपना चाहिए।
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