शंख को इन नियमों के साथ को घर में रखा तो होने लगेंगे चमत्कार

हिंदू धर्म में शंख को एक पवित्र धार्मिक पतीक माना जाता है। हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है। इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं। इसलिए एक आम धारणा है कि, जिस घर में शंख होता है उस घर में सुख-समृद्धि आती है।


पुराणों के अनुसार चन्द्रमा और सूर्य के समान ही शंख देवस्वरूप है| इसके बीच वाले भाग में वरुण, पिछले भाग में ब्रह्मा और आगे के भाग में गंगा और सरस्वती का निवास होता है|

शंख से शिवलिंग, कृष्ण या लक्ष्मी जी पर जल या फिर पंचामृत से अभिषेक करने पर देवता प्रसन्न हो जाते है|

यह भी माना जाता है कि शंख के स्पर्श से साधारण जल भी गंगाजल जैसा ही पवित्र हो जाता है विज्ञान भी शंखनाद की उपयोगिता को मानता है। इसके उपयोग से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं और दिल की किसी भी तरह की बीमारी का डर खत्म होता है! अगर आपको रक्तचाप की समस्या है तो उसका भी रामबाण इलाज है शंखनाद|

शंखनाद के भी दो प्रकार होते हैं। पहला प्रकार होता है पूजा से पहले शंखनाद करना। इससे ही पूजा की शुरुआत होती है। इसे हमेशा पूजा स्थान के दाईं तरफ़ से बजाना चाहिए। साथ ही दूसरा शंखनाद पूजा के खत्म होने पर होता है, जो बाईं तरफ़ से बजाया जाता है

शंखनाद तो काफ़ी लोग करते हैं, लेकिन इसका सही तरीका बहुत कम लोगों को ही पता होता है|| शंखनाद करते वक़्त हमेशा इसे बजाने वाले का सिर ऊपर की तरफ़ होना चाहिए। शंखनाद करने से पहले पानी बिलकुल नहीं पीना चाहिए, इससे आपके मुंह की गंदगी शंख में चली जाएगी और शंख अशुद्ध माना जाएगा। इसे बजाने वाले का शरीर स्थिर होना चाहिए।

शंख को बजाने के लिए गले पर नहीं बल्कि नाभी पर ज़ोर देना होता है तभी इसकी ध्वनि में कंपन आता है जिससे इसकी नाद से फ़ायदा मिलता है|

वास्तुशास्त्र के मुताबिक भी शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है. शंख की आवाज से सोई हुई भूमि जाग्रत होकर शुभ फल देती है | तानसेन ने अपने आरंभिक दौर में शंख बजाकर ही गायन शक्ति प्राप्त की थी।

शंखनाद करते समय इनका रखें ध्यान
1. जिस शंख को बजाया जाता है उसे पूजा के स्थान पर कभी नहीं रखा जाता।
2. जिस शंख को बजाया जाता है उससे कभी भी भगवान को जल अर्पण नहीं करना चाहिए।
3. एक मंदिर में या फ़िर पूजा स्थान पर कभी भी दो शंख नहीं रखने चाहिए।
4. पूजा के दौरान शिवलिंग को शंख से कभी नहीं छूना चाहिए।
5. भगवान शिव और सूर्य देवता को शंख से जल अर्पण कभी भी नहीं करना चाहिए।
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