कार्तिक मास की ऐसी रहस्यमयी बातें जो बहुत कम लोगों को पता होंगी
Astrology Articles I Posted on 03-11-2017 ,10:28:13 I by: Amrit Varsha
कार्तिक मास के पुण्यदायी माह के बारे में ज्याधदातर लोग कुछ ना कुछ जानते हैं लेकिन फिर भी कुछ बातें ऐसी खास हैं जिनसे लोग आज भी अनभिज्ञ हैं। ऐसी ही 10 विशेष बातों को हम हमारे सुधीजन पाठकों के लिए लाए हैं-
पुराणों एवं शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में दीपदान करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं। अपने अंधकार दूर होकर जीवन प्रकाशमान हो जाता है।
इस मास में धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता है। कहा जाता है कि इस महीने में जो मनुष्यन देवालय, नदी किनारे, तुलसी के समक्ष एवं अपने शयन कक्ष में दीप लगाता (जलाता) है, उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।
कार्तिक मास में धन से संबंधित विशेष आराधना व उपासना की जाती है, जिससे धन, आयु व आरोग्य की प्राप्ति होती है। भगवान नारायण विष्णु एवं लक्ष्मी जी को दीपक लगाने से अमिट फल प्राप्त होते हैं।
मनुष्य पुण्य का भागी होकर वह लक्ष्मी कृपा को प्राप्त करता है। इस माह में किया गया स्नान दान, दीप दान एवं तुलसी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है।
स्कंद पुराण तथा पद्म पुराण के अनुसार यह माह धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को देने वाला कहा गया है। इस माह में खास तौर पर दीपावली के बाद गोपाष्टमी, आंवला नवमी और देवउठनी एकादशी पर पूजन का काफी महत्व माना गया है।
इस माह साथ ही कार्तिक शुक्ल प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। तुलसी के पौधे को सजा कर भगवान शालिग्राम के पूजन के साथ उनका विवाह संपन्न कराया जाता है। कार्तिक में तुलसी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है।
धन-संपन्नता और वैभव देंगे श्रीहरि विष्णु के 9 विशेष मंत्रपौराणिक शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु जगत का पालन करने वाले देवता हैं। उनका स्वरूप शांत और आनंदमयी है। प्रतिदिन भगवान श्रीहरि विष्णु का स्मरण करने से जीवन के समस्त संकटों का नाश होता है तथा धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
खास कर गुरुवार के दिन भगवान विष्णु का स्मरण कर
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना फलदायी रहता है।
श्रीहरि विष्णुभ के विविध मंत्र, जिनका जाप कर धन-वैभव एवं संपन्नता पाई जा सकती हैं।
शीघ्र फलदायी मंत्र श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ विष्णवे नम: ॐ हूं विष्णवे नम: ।
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