अगर ऐसा होगा घर मुख्य द्वार तो लक्ष्मी का रहेगा वास

हमारे घर का मुख्य द्वार हमारी परिस्थितियों का भव्य आईना है। यूं तो लोग अधिकांशत: अपनी सुविधा के अनुरूप अपने घर का मुख्य द्वार बनाते हैं लेकिन वास्तु शास्त्र व ज्योतिष के अनुरूप अपने मुख्य द्वार के दोषों को दूर किया जा सकता है।


यदि किसी घर के कोने में कूप, कचरे, वृक्ष, द्वार तथा देव स्थान से मुख्य द्वार विद्ध हो जाता है, किन्तु घर की ऊंचाई से दुगने अंतर पर स्थित वास्तु के वेध का फल निरस्त हो जाता है।
घर के दरवाजे के सामने कूपवेध से स्वामी अथवा उस परिवार के निवासियों के अपस्मार्ग रोग, देवविद्ध से सर्वनाश, स्तम्भवेध स्त्री दोष तथा ब्रह्मविद्ध से कुलनाश हो जाता है।
यदि घर का मुख्य द्वार मिट्टी के टीले, सूखी लकड़ी, खिड़की तथा द्वार भित्ति शैया आदि किसी से वेधित न हो तो वह द्वार मंगलकारी माना जाता है।
वास्तु दृष्टि से दक्षिण द्वार हमारी रक्षा करता है और सामने की दृष्टि का वेध समूचे कुल का नाश करता है।
यदि भवन की छाया किसी पास के कुएं पर पड़ती हो तो उसमें निवास शुभ नहीं माना गया है। अत: ऐसे भवन के लिए वास्तुपुरुष की पूजा कर निदान करना चाहिए। दूसरे व तीसरे प्रहर के समय वृक्ष या किसी भवन की छांव घर पर ठीक नहीं है।

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