ऐसे रुद्राक्ष धारण करने से बदल जाएगी आपकी तकदीर
Astrology Articles I Posted on 16-11-2017 ,13:28:04 I by: vijay
शास्त्रों में रुद्राक्ष को भगवान शिव का आंसू बताया गया है। धरती पर
इसे सबसे पवित्र धातु भी बताया गया है। रुद्राक्ष एकमुखी से लेकर चौदह मुखी
तक होते हैं| पुराणों में प्रत्येक रुद्राक्ष
का अलग-अलग महत्व और उपयोगिता उल्लेख किया गया है। कुछ खास रुद्राक्ष को
धारण करने से सभी ग्रह अनुकूल होने लगते हैं और आपके जीवन में सकारात्मक
परिवर्तन आने लगते हैं।
एकमुखी रुद्राक्षएकमुखी रुद्राक्ष साक्षात रुद्र
स्वरूप है। इसे परब्रह्म माना जाता है। सत्य, चैतन्यस्वरूप परब्रह्म का
प्रतीक है। साक्षात शिव स्वरूप ही है। इसे धारण करने से जीवन में किसी भी
वस्तु का अभाव नहीं रहता। लक्ष्मी उसके घर में चिरस्थायी बनी रहती है।
चित्त में प्रसन्नता, अनायास धनप्राप्ति, रोगमुक्ति तथा व्यक्तित्व में
निखार और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
द्विमुखी रुद्राक्षशास्त्रों
में दोमुखी रुद्राक्ष को अर्द्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है।
शिवभक्तों को यह रुद्राक्ष धारण करना अनुकूल है। यह तामसी वृत्तियों के
परिहार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। इसे धारण करने से मानसिक शांति प्राप्त
होती है। चित्त में एकाग्रता तथा जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पारिवारिक
सौहार्द में वृद्धि होती है। व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
स्त्रियों के लिए इसे सबसे उपयुक्त माना गया है|
तीनमुखी रुद्राक्षयह रुद्राक्ष अग्निस्वरूप माना गया है।
सत्व, रज और तम- इन तीनों यानी त्रिगुणात्मक शक्तियों का स्वरूप यह भूत,
भविष्य और वर्तमान का ज्ञान देने वाला है। इसे धारण करने वाले मनुष्य की
विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों का दमन होता है और रचनात्मक प्रवृत्तियों का उदय
होता है। किसी भी प्रकार
की बीमारी, कमजोरी नहीं रहती। व्यक्ति क्रियाशील रहता है। यदि किसी की
नौकरी नहीं लग
रही हो, बेकार हो तो इसके धारण करने से निश्चय ही कार्यसिद्धी होती है।
चतुर्मुखी रुद्राक्षचतुर्मुखी रुद्राक्ष ब्रह्म का
प्रतिनिधि है। यह शिक्षा में सफलता देता है। जिसकी बुद्धि मंद हो, वाक्
शक्ति कमजोर हो तथा स्मरण शक्ति मंद हो उसके लिए यह रुद्राक्ष कल्पतरु के
समान है। इसके धारण करने से शिक्षा आदि में असाधारण सफलता मिलती है।
पंचमुखी रुद्राक्षपंचमुखी
रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रतिनिधि माना गया है। यह कालाग्नि के नाम से
जाना जाता है। शत्रुनाश के लिए पूर्णतया फलदायी है। इसके धारण करने पर
सांप-बिच्छू आदि जहरीले जानवरों का डर नहीं रहता। मानसिक शांति और
प्रफुल्लता के लिए भी इसका उपयोग किया होता है।
षष्ठमुखी रुदाक्षयह षडानन कार्तिकेय का स्वरूप है। इसे धारण
करने से खोई हुई शक्तियाँ जागृत होती हैं। स्मरण शक्ति प्रबल तथा बुद्धि
तीव्र होती है। कार्यों में पूर्ण तथा व्यापार में आश्चर्यजनक सफलता
प्राप्त होती है।
सप्तमुखी रुद्राक्षसप्तमुखी रुद्राक्ष को सप्तमातृका तथा
ऋषियों का प्रतिनिधि माना गया है। यह अत्यंत उपयोगी तथा लाभप्रद रुद्राक्ष
है। धन-संपत्ति, कीर्ति और विजय प्रदान करने वाला होता है साथ ही कार्य,
व्यापार आदि में बढ़ोतरी कराने वाला है।
अष्टमुखी रुद्राक्षअष्टमुखी रुद्राक्ष को अष्टदेवियों का
प्रतिनिधि माना गया है। यह ज्ञानप्राप्ति, चित्त में एकाग्रता में उपयोगी
तथा मुकदमे में विजय प्रदान करने वाला है। धारक की दुर्घटनाओं तथा प्रबल
शत्रुओं से रक्षा करता है। इस रुद्राक्ष को विनायक का स्वरूप भी माना जाता
है। यह व्यापार में सफलता और उन्नतिकारक है।
नवममुखी रुद्राक्षनवमुखी रुद्राक्ष को नवशक्ति का प्रतिनिधि
माना गया है| इसके अलावा इसे नवदुर्गा, नवनाथ, नवग्रह का भी प्रतीक भी
माना जाता है। यह धारक को नई-नई शक्तियाँ प्रदान करने वाला तथा सुख-शांति
में सहायक होकर व्यापार में वृद्धि कराने वाला होता है। इसे भैरव के नाम से
भी जाना जाता है। इसके धारक की अकालमृत्यु नहीं होती तथा आकस्मिक दुर्घटना
का भी भय नहीं रहता।
दशममुखी रुद्राक्ष
दशमुखी रुद्राक्ष दस
दिशाएँ, दस दिक्पाल का प्रतीक है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को लोक
सम्मान, कीर्ति, विभूति और धन की प्राप्ति होती है। धारक की सभी
लौकिक-पारलौकिक कामनाएँ पूर्ण
होती हैं।
एकादशमुखी रुद्राक्षयह रुद्राक्ष रूद्र का प्रतीक
माना जाता है| इस रुद्राक्ष को धारण करने से किसी चीज का अभाव नहीं रहता
तथा सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं। यह रुद्राक्ष भी स्त्रियों के लिए
काफी फायदेमं रहता है| इसके बारे में यह मान्यता है कि जिस स्त्री को पुत्र
रत्न की प्राप्ति न हो रही हो तो इस रुद्राक्ष के धारण करने से पुत्र रत्न
की प्राप्ति होती है|
द्वादशमुखी रुद्राक्षयह द्वादश आदित्य का स्वरूप माना जाता
है। सूर्य स्वरूप होने से धारक को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है।
ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है। सभी प्रकार की शारीरिक
एवं मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती
है।
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