कहीं आप राक्षस तो नहीं ? जानें अपना गण, एक बार पढे जरूर
Astrology Articles I Posted on 10-11-2017 ,21:49:33 I by: Amrit Varsha
शीर्षक पढकर चौंक गए ना? लेकिन यकीन मानिए कि हम में से बहुत से लोग राक्षस हैं तो बहुत से लोग देवता भी हैं। आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि तो क्या मनुष्य नहीं हैं? तो निश्चित रूप से मनुष्यम भी हैं हमारे आस-पास। वैदिक ज्योतिष के माध्यआम से आपके जन्म नक्षत्र के द्वारा यह जाना जा सकता है आप मनुष्य हैं या देवता है या राक्षस। इसे पहेली ना समझे, आपका जन्म नक्षत्र आपकी पोल खोल रहा है कि आप तो राक्षस हैं। कैसे?
अगर आपकी मेश राषि और कृतिका नक्षत्र है तो फिर आप निश्चित रूप से राक्षस हैं वैदिक ज्योतिष की नजर में। प्रेम करते हैं और आपकी प्रेमिका की राशि भी मेष है लेकिन भरणी नक्षत्र है तो वह निश्चित है जिसे आप अपने राक्षसी व्यवहार से अवश्य सताते होंगे। भूले भटके विवाह की संभावना बनी भी तो आपका राक्षस गण विवाह में बाधा बनेगा, निश्चित रूप से। लेकिन अगर प्रेमिका का जन्म मघा नक्षत्र में हुआ है तो विवाह हो सकता। क्यों? इसलिए कि वे भी राक्षस गण वाली ही हैं।
कृतिका, अश्लेशा, मघा, धनिष्ठा, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा, चित्रा और विशाखा जिनका जन्मनक्षत्र है वह सब राक्षस गण वाले हैं। गहराई से अगर अवलोकन करेंगे तो इनके खान-पान, स्वभाव में, व्यवहार में इसकी झलक साफ-साफ देखने को मिल जाएगी। विवाह के दौरान दुल्हे और दुल्हन की जन्मकुंडली मिलाते समय इस बात का बडी गहराई से विद्वान ज्योतिषी अवलोकन करते हैं। प्रेम संबंधों के विवाह तक पहुंचने में जो संकट आ रहे हैं उनकी जड में इन तीन गणों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
देव गण उन लोगों का है जिनका जन्म नक्षत्र आश्विनी, पुनर्वसु, पुश्य, मृगशिरा, हस्त, स्वाति, अनुराधा, श्रवण और रेवती हैं। इनके देवता संबंधी गुणों की अधिकता पाई जाती है। यह उदार, दयालु, लोकप्रिय और उपकार करने में यह सबसे आगे होते हैं। सात्विक गुणों की भरमार होती हैं देव गणों में।
मनुष्य गण उन लोगों का होता है जिनका जन्मनक्षत्र भरणी, रोहिणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वा भाद्रपद, पूर्वाषाढा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा और आर्द्रा है। राजसिक स्वभाव होता है इनका। व्यवहार कुशल होने के साथ-साथ इनमें प्रसिद्ध होने की भावना प्रबल रहती है। इनकी सामाजिक कार्यकलापो में बहुत रूचि होती है।
राक्षस गण में पैदा हुए लोग तामसिक प्रवृति से भरे होते हैं। यथा नाम तथा गुण इनमें देखे जा सकते हैं। परनिंदा में रूचि रखने वाले, गुस्सैल, कठोर भाशी, दूसरों को हानि पहुंचाने वाले और सबको अपने कब्जे में रखने वाले होते हैं। यह जोर- जबरदस्ती कर के भी अपनी बात मनवाने का प्रयास करते हैं।
विवाह में देव गण का मनुष्यगण से जुडना तो शुभ माना जाता है। राक्षस गण से इन दोनों का जुडना खराब माना जाता है। अगर संबंध बनते हैं तो घर में कलह क्लेश बहुत होता है और पारिवारिक शांति समाप्त हो जाती है। देव-देव या मनुष्यगण आपस में घर को जोड कर रखते हैं।
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