बुरे दिनों को अच्‍छों में बदलने के चमत्‍कारिक उपाय

ग्रह किसी न किसी संबंधी का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर हम इन उपायों के साथ-साथ अशुभ प्रभाव देने वाले ग्रहों से संबंधित संबंधी या व्यक्ति की सेवा करें, उनका सम्मान करें और उनके साथ अच्छे संबंध बनाये रखें तो शुभ परिणाम मिलने लगते हैं। वहीँ दूसरी ओर जीव जंतुओं को दाना-पानी और भोजन देने से भी अशुभ ग्रहों की शांति होने लगती है। सूर्य ग्रह का संबंध मुख्य रूप से पिता और सरकार से होता है।


सूर्य यदि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अपने पिता, बाबा, नाना या पुरुष बुजुर्गों की सेवा करना, उनका सम्मान करना और प्रतिदिन उनके चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लेना शुभ होता है। सरकार के नियम-कानूनों का पालन करने, समय पर ईमानदारी से टैक्स आदि जमा करने, सरकार के खिलाफ आंदोलन, धरना, प्रदर्शन या तोड़-फोड़ जैसे कार्य न करने से भी सूर्य के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। लाल बछड़े वाली गाय को प्रतिदिन चारा देना भी सूर्य को प्रसन्न रखने का आसान उपाय है।
चंद्र ग्रह माता का कारक है। अशुभ फल देने वाले चंद्र के लिए अन्य उपायों के साथ अपनी माता, मौंसी, नानी, दादी अथवा बुजुर्ग या विधवा महिला की सेवा एवं सम्मान करने से शुभ फल मिलने लगते हैं। नंदी यानी बैल को भोजन कराना भी शुभ होता है। इससे चंद्र के अशुभ प्रभाव दूर होने लगते हैं।
बुध ग्रह का संबंध बुआ, बहिन, बेटी आदि से होता है। इसलिए बुध के अशुभ प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए इनकी सेवा करने चाहिए और ज़िम्मेदारी उठाना चाहिए। वहीँ विकलांग, भिक्षुक, साधु, गाय आदि को हरी वस्तुएं देने से भी बुध प्रसन्न होता है।
गुरु ग्रह साधु-सन्यासी, कुलपुराहित, गुरु, अध्यापक, दादा और बड़े बुजुर्ग के साथ संबंध रखता है। इसलिए इनकी सेवा और सम्मान से अशुभ गुरु शुभ फल देने लगता है। पीले रंग की गाय को गुड़ और चने की भीगी दाल खिलाने से भी गुरु प्रसन्न रहते हैं।
शुक्र ग्रह को मुख्य रूप से जीवन साथी अर्थात पति-पत्नी का कारक माना गया है। शुक्र ग्रह को प्रसन्न रखने के लिए जीवन साथी के प्रति प्यार व सम्मान बनाये रखना और सदैव बफादार रहना परम आवश्यक है। श्वेत रंग की गाय का पालन एवं सेवा करना भी शुक्र ग्रह कृत बाधाओं को दूर रखता है और संतान सुख मिलता है।
शनि ग्रह चाचा, ताऊ और मजदूर का प्रतिनिधित्व करता है। शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए चाचा और ताऊ का सम्मान करना चाहिए और घर या कार्यस्थल के नौकरों या मजदूरों का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए तथा समय-समय पर उन्हें मिष्ठान और उपहार आदि देकर खुश रखना चाहिए। कौए एवं पक्षियों को दाना-पानी देने से भी शनि के अशुभ फल दूर होने लगते हैं।
राहु ग्रह ससुराल का कारक है। सास, श्वसुर, साले और सलहज को सम्मांन देने और उनके साथ अच्छे संबंध बनाए रखने से अशुभ राहु शुभ फल देता है। कुष्ठ रोगी की सेवा करने और कुत्तों को भोजन देने से भी राहु ग्रह शुभ फल देता है।
केतु ग्रह का संबंध पुत्र, पौत्र, प्रपोत्र आदि से होता है। इनका सही ढंग से पालन पोषण करने और उन्हें प्यार देने से केतु के अशुभ प्रभाव दूर होने लगते हैं। पिल्लों को पालने एवं उन्हें भोजन देना भी केतु को प्रसन्न रखने का आसान उपाय है।
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