शिव पूजा में इन चीजों के ध्यान से मिलेगी महादेव की विशेष कृपा, नहीं रूकेंगे कोई काम
Astrology Articles I Posted on 20-06-2017 ,09:25:51 I by: Amrit Varsha
शिव यूं तो शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं लेकिन कुछ खास बातों का ध्यान रखकर यदि पूजा अर्चना की जाए तो महादेव तुरंत मेहरबान होने लगते हैं, जिससे आपका कोई भी काम नहीं रूकता और आप जीवन में कामयाब होते चले जाते हैं।
1- सर्व प्रथम में बिल्वपत्र और अक्षत (चावल) लेकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिये। ध्यान करते समय इस प्रकार उपासना करें- चांदी के पर्वत के समान जिनकी श्वेत कान्ति है, जो सुन्दर चन्द्रमा को आभूषण रूप में धारण करते हैं, रत्नमय अलंकारों से जिनका शरीर उज्ज्वल है, जिनके हाथों में परशु, मृग, वर, और अभय मुद्रा है, जो प्रसन्न है, पद्म के आसन पर विराजमान है, देवता लोग जिनके चारों और खडे होकर स्तुति करते है, जो विश्व के आदि जगत की उत्पति बीज और समस्त भयों को हरने वाले हैं, जिनके पांच मुख और तीन नेत्र है। ऐसे परमेश्वर की मैं वन्दना करता हूं।
2- जलहरी में सर्प का आकार हो तो पहले सर्प का पूजन करे पश्चात् शिव का ध्यान करें।
3- बिल्वपत्र तोडते समय आचारेन्दु ने निम्न मन्त्र के उच्चारण का निर्देश दिया है-
अमृतोद्धव! श्रीवृक्ष! म्हादेव प्रिय: सदा।
गृहणामि तब पत्राणि तब पत्राणि शिवपूजार्थमादरात।।
4- लिंग पुराण घोषणा करता है कि-
अमरिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे।
बिल्व पत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेंतृ।।
अर्थात:- चतुर्थी अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रान्ति (सूर्य के राशि परिर्वतन के समय) और सोमवार को बिल्वपत्र न तोडे। लेकिन बिल्वपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है , अत: निषिद्ध समय में पहले दिन का रखा हुआ बिल्व पत्र चढाना चाहिए। स्कन्द पुराण एवं आचारेन्दु में यहॉ तक भी कहा गया है - अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षल्यापि पुन: पुन: अर्थात यदि नये बिल्वपत्र न मिल सके तो चढाये हुए बिल्व पत्र को भी धोकर बार बार चढा सकते है।
5- फूल और पत्ते जैसे उगते है, वैसे ही उन्हें चढाना चाहिए। उत्पन्न होते समय इनका मुख उपर की और होता है अत: चढाते समय इनका मुख उपर की और रखना चाहिए, लेकिन तृच भास्कर का कथन है कि - दूर्वा: स्वभिमुखग्रा: स्युर्बिल्वपत्रमधोमुखम अर्थात -दूर्वा एवं तुलसीदल को अपनी ओर तथा बिल्वपत्र को नीचे मुखकर चढाना चाहिए।
6- शिव पुराण का कथन है कि जो मनुष्य भगवान शिव के लिए फूलवाडी या बगीचे आदि लगाता है तथा शिव के सेवा कार्य के लिए मन्दिर मे झाडने बुहारने आदि की व्यवस्था करता है वह इस पुण्यकर्म को करके शिव पद प्राप्त कर लेता है।
7- आचार प्रकाश एवं आचारेन्दु का कथन है कि धर मे दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति, दो गोमतीचक्र और दो शालग्राम की पूजा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशान्ति होती है।
8 - भगवान शिव का रात्रि मे जागरण करे रात्रि के चार प्रहर में पूजा का प्रावघान है।
9- सूंघा हुआ या अंग में लगाया हुआ फूल भगवान के नहीं चढाया जाता।
10- जो फूल अपवित्र स्थान पर बर्तन में रख दिया गया हो , जिसकी पंखुडियॉ बिखर गई हो ,जो पृथ्वी पर गिर गया हो, जिसमें दुर्गंध आती हो, जो फूल बाएं हाथ से लाये गए हों या अधो वस्त्र में रखकर लाए गए हो उन्हें भी भगवान के नहीं चढाना चाहिए।
ज्योतिर्विद पंडित श्रीकृृष्ण शर्मा
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