शिव रहस्य के अनुसार मकर संक्रांति पर इन चीजों को दान से बदलेंगे सितारे
Astrology Articles I Posted on 11-01-2017 ,08:48:00 I by: Amrit Varsha
पुराणों में सर्वश्रेष्ठ शिव रहस्य के अनुसार मकर संक्रांति व माघ मास में
जो घी एवं कम्बल का दान करता है, उसे कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहती और वह
सभी सुखों का वरण करते हुए जीवन व्ययतीत करता है।
धर्म सिन्धु ग्रंथ के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सफेद तिल से देवताओं का तथा काले तिल से पित्तरों का तर्पण करना चाहिए।
शिवलिंग पर शुद्ध जल का अभिषेक करने से महाफल की प्राप्ति होती है।
वायु पुराण के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर दूर्वा, दही, मक्खन, चंदन, लाल फूल जलसहित, गौ, मृतिका घान्या को पीपल को स्पर्श कराकर दोनों हाथों से सूर्य को प्रणाम करना चाहिए। इससे सूर्य देव अति प्रसन्न रहते हैं।
मकर संक्रांति को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। अयन का अर्थ होता है चलना। सूर्य के उत्तर गमन को उत्तरायण कहते हैं।
उत्तरायण के छह महीनों में सूर्य मकर से मिथुन तथा दक्षिणायन में सूर्य कर्क से धनु राशि में भ्रमण करते हैं।
भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राणी शरीर त्याग करता है वह जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है।
इस दिन नव वर्ष का पंचांग ब्राह्मणों को दान करने की भी परंपरा है।
पौराणिक ग्रंथों में मकर संक्रांति के दिन तिल के दान को इस तरह बताया है-
तिलस्नायी तिलाद्धती, तिलहोनी तिलोदकी।
तिलभक्तिंलदाता च, शठतिल पापनादना। यानी इस दिन तिल ही से स्नान करें, तिल का ही का उबटन लगाएं, तिल का ही हवन-तिल का जल, तिल का ही भोजन तथा दान ये छह कर्म तिल ही से करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस दिन बेटी-जंवाई को घर बुलाकर उनका आदर सत्कार करने से भी विशेष फल प्राप्त होता है।
मकर संक्रांति के दिन यदि गंगासागर अथवा पवित्र सरोवर में स्नान किया जाए तो वर्ष भर में किए गए जाने अंजाने सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
ब्रह्मण्ड पुराण के अनुसार इस दिन दधि-मथंन का दान करने से पुत्र प्राप्ति होने तथा जन्म-जन्मान्तर के दरिद्रय नष्ट हो जाने की बात लिखी है।
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