रमल अरबी ज्योतिष बताएगा कि भाग्योदय कब और कैसे होगा?
Astrology Articles I Posted on 23-11-2017 ,14:16:29 I by: Amrit Varsha
रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र के मुताबिक जातक द्वारा भाग्योदय कब और कैसे का प्रश्न उक्त दोनोें विधियों में से एक विधि द्वारा प्रश्न किया जा सकता है। उस प्रश्न के अनुसार जायचा (प्रस्तार) बनाया जाता है। यदि प्रस्तार में फरह शकल (आकृति) जो कि शकुन पंक्ति की पंचम घर की शुभ मुनकिलब शकल, राशि तुला, काल दिन, ग्रह शुक्र, विजदह पंक्ति के अनुसार 15 अंक की शकल है। यदि प्रस्तार के उम्हान्त घर में होतो 20 वर्ष की आयु (वय) में सुख-शन्ति लाभ, वैभव, भाग्योदय प्राप्ति होता है।
यदि फरह शकल विनान्त घरों में होतो 20 वर्ष की आयु से 40 वर्ष तक की आयु में उक्त स्थिति होगी। यदि फरह शकल मुतबल्लेदात के घरों में होतो 40 से 60 वर्ष की आयु तक उक्त स्थिति का होना दिखाई देता है। यदि जवाहदात घरों में फरह शकल हो तो 60 वर्ष की आयु से जीवन के अन्तिम चरण तक सुख-शान्ति, लाभ, भौतिक साधनों की प्राप्ति, वैभवता, भाग्योदय की प्राप्ति बरावर होती है।
रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र के प्रस्तार के चौथे घर में यदि फरह शकल होतो आजीवन भाग्योदय, सुख-शान्ति, लाभ, समय-समय पर बरावर प्राप्ति का होेना पाया जाता है। उक्त फरह शकल के प्रस्तार में आने के अतिरिक्त विशेष तोैर नजर-ए-मिकाराना व नजर-ए-तस्वीर, निकटवर्ती साक्षी का देखना दोनों विधियों में आवश्यक है। जिससे कि जातक का उक्त प्रश्न के फलादेश व समाधान की सही पुष्टि हेा सके।
यदि प्रस्तार में फरह शकल (आकृति) ना होतो प्रस्तार के भाग्य स्थान की शकल से उक्त विधि द्वारा फलादेश को बयान करने का विघान है। यदि भाग्य स्थान में शकल अशुभ व महान अशुभ हो तो जीवन भर दुर्भाग्यता, दरिद्रता से रहेगा। साथ ही तमाम शारीरिक मानसिक आर्थिक परेशानियो व कष्टों से बरावर जीवन का सफर रहेगा।
इसी स्थिति में पारिवारिक भौतिक सम्पन्नता की ओर बढत नहीं होना पाया जाता है।
यदि प्रश्नकर्ता को अपने जीवनकाल में कुछ समय कार्य व अन्य बातों की स्थिति में गिरावट होतो किस ग्रह की वर्तमान में प्रतिकूलता (अशुभता) बरावर चल रही। जिसके कारण से यह सारी स्थिति शारीरिक मानसिक आर्थिक बन्द के कगार पर आ रही है या है।
इस वास्ते रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र के मुताबिक उस ग्रह की जानकारी कर अधिष्ठाता मन्त्र-यन्त्र अथवा अमुक ग्रह की मुद्रिका (अगॅूठी) विधि-विधान द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा कराकर धारण करनी चाहिए। जिससे कि कुछ लाभ और शान्ति हो सके।
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