कालसर्प योग दोष हो तो अपनाएं ये प्रभावी उपाय
Astrology Articles I Posted on 13-10-2016 ,14:41:38 I by: Amrit Varsha
कालसर्प दो शब्दों से मिलकर बना है-काल और सर्प। जब सूर्यादि सातों ग्रह राहु (सर्प मुख) और केतु (सर्प की पूंछ) के मध्य आ जाते हैं तो कालसर्प योग बन जाता है। जिसकी कुंडली में यह योग होता है उसके जीवन में काफी उतार चढ़ाव और संघर्ष आता है। इस योग को अशुभ माना गया है। कुंडली में कालसर्प योग के अतिरिक्त सकारात्मक ग्रह अधिक हों तो व्यक्ति उच्च पदाधिकारी भी बनता है, परन्तु एक दिन उसे संघर्ष अवश्या करना पड़ता है। यदि नकारात्मक ग्रह अधिक बली हों तो जातक को बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है। यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो घबराएं नहीं, इसके उपाय आसानी से किए जा सकते हैं और इससे होने वाले कष्टों से निजात पाया जा सकता है।
सबसे सरल उपाय- कालसर्प योग वाला युवा श्रावण मास में प्रतिदिन रूद्र-अभिषेक कराए एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज करें। जीवन में सुख शांति अवश्य आएगी और रूके काम होने लगेंगे।
यदि रोजगार में तकलीफ आ रही है अथवा रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा है तो पलाश के फूल गोमूत्र में डूबाकर उसको बारीक करें। फिर छांव में रखकर सुखाएं। उसका चूर्ण बनाकर चंदन के पावडर में मिलाकर शिवलिंग पर त्रिपुण्ड बनाएं। 21 दिन या 25 दिन में नौकरी अवश्य मिलेगी।
यदि कुंडली में कालसर्प दोष है तो नित्य प्रति भगवान शिव के परिवार का पूजन करें। आपके हर काम होते चले जाएंगे।
यदि शत्रु से भय है तो चांदी के अथवा ताँबे के सर्प बनाकर उनकी आंखों में सुरमा लगा दें, फिर किसी भी शिवलिंग पर चढ़ा दें, भय दूर होगा व शत्रु का नाश होगा।
यदि पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका में क्लेश हो रहा हो, आपसी प्रेम की कमी हो रही हो तो भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या बालकृष्ण की मूर्ति जिसके सिर पर मोरपंखी मुकुट धारण हो घर में स्थापित करें एवं प्रतिदिन उनका पूजन करें एवं ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय अथवा ऊँ नमो वासुदेवाय कृष्णाय नम: शिवाय का यथाशक्ति जाप करे। कालसर्प योग की शांति होगी।
शिवलिंग पर प्रतिदिन मीठा दूध (मिश्री मिली हो तो बहुत अच्छा ) उसी में भांग डाल दें, फिर चढ़ाएँ इससे गुस्सा शांत होता है, साथ ही सफलता तेजी से मिलने लगती है।
नारियल के गोले में सप्त धान्य(सात प्रकार का अनाज), गुड़, उड़द की दाल एवं सरसों भर लें व बहते पानी में बहा दें अथवा गंदे पानी में (नाले में) बहा दें। आपका चिड़चिड़ापन दूर होगा। यह प्रयोग राहूकाल में करें।