केवल एक उपाय से होगा मंगल दोष दूर, नहीं आएगी विवाह में कोई समस्या
Astrology Articles I Posted on 16-11-2018 ,14:41:47 I by: vijay
भले ही कुछ लोग मांगलिक होने को लेकर बड़ा हव्वा बनाते हों लेकिन
शास्त्रों के अनुसार मांगलिक होना कोई चिंता की वजह नहीं है। यदि आपके
पुत्र या पुत्री की कुंडली मांगलिक है, तो घबराएं नहीं, शास्त्रों में मंगल
दोष दूर करने के उपाय लिखित में उपलब्ध हैं। मांगलिक विचार का निर्णय
बारीकी से किया जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में मांगलिक दोष निवारण के
तरीके उपलब्ध हैं। शास्त्र वचनों के जिस श्लोक के आधार पर जहां कोई कुंडली
मांगलिक बनती है, वहीं उस श्लोक की परिहार (काट) के कई प्रमाण हैं।
ज्योतिष और व्याकरण का सिद्धांत है कि पूर्ववर्ती कारिका से
परवर्ती कारिका (बाद वाली) बलवान होती है। दोष के सम्बंध में परवर्ती
कारिका ही परिहार है। इसलिए मांगलिक दोष का परिहार मिलता हो तो जरूर विवाह
का फैसला किया जाना चाहिए। परिहार नहीं मिलने पर भी यदि मांगलिक कन्या का
विवाह गैर मांगलिक वर से करना हो तो शास्त्रों में विवाह से पूर्व घट विवाह
का प्रावधान है। मांगलिक प्रभाव वाली कुंडली से भयभीत होने की जरूरत नहीं
है। यह दोष नहीं है बल्कि इसी मंगल के प्रभाव से जातक कर्मठ, प्रभावशाली,
धैर्यवान तथा सम्मानीय बनता है।
घट विवाह है प्रभावी उपाय
कन्या की कुंडली में मांगलिक दोष का परिहार नहीं हो रहा हो तो उपाय के
रुप में कन्या का प्रथम विवाह/सात फेरे किसी घट (घड़े) या वृक्ष के साथ
कराए जाने का विधान है। इस प्रकार के उपाय के पीछे तर्क यह है कि मंगली दोष
का मारक प्रभाव उस घट या वृक्ष पर होता है, जिससे कन्या का प्रथम विवाह
किया जाता है। वर दूसरा पति होने के कारण उस प्रभाव से सुरक्षित रह पाता
है। घट विवाह शुभ विवाह मुहूत्र्त और शुभ लग्न में पुरोहित द्वारा सम्पन्न
कराया जाना चाहिए।
कन्या का पिता पूर्वाभिमुख बैठकर अपने दाहिने तरफ
कन्या को बिठाएं। कन्या का पिता घट विवाह का संकल्प ले। नवग्रह, गौरी
गणेशादि का पूजन, शांतिपाठ इत्यादि करे। घट की षोडषोपचार से पूजा करें।
शाखोच्चार, हवन, सात फेरे और विवाह की अन्य रस्म निभाएं। बाद में कन्या घट
को उठाकर हृदय से सटाकर भूमि पर छोड़ दे जिससे घट फूट जाए। इसके बाद
देवताओं का विसर्जन करें और ब्राह्मण को दक्षिणा दें। बाद में चिरंजीवी वर
से कन्या का विवाह करें।
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