इस दिन गौ सेवा की तो गोपाल की रहेगी पूरी मेहरबानी, घर में परसेगी समृद्धि

आज बेहद पवित्र और शुभ दिन है। पूरा देश आज गोपाष्टिमी मना रहा है। यूं तो सभी दिन गौसेवा के लिए श्रेष्ठ हैं लेकिन शास्रों के अनुसार इस खास दिन गौ माता की सेवा की जाए तो घर सम्पलन्नता से भर जाता है। शास्त्रों में गोपाष्टमी पर्व पर गायों की विशेष पूजा करने का विधान निर्मित किया गया है। इसलिए कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को प्रात:काल गौओं को स्नान कराकर, उन्हें सुसज्जित करके गन्ध पुष्पादि से उनका पूजन करना चाहिए। इसके पश्चात यदि संभव हो तो गायों के साथ कुछ दूर तक चलना चाहिए कहते हैं ऎसा करने से प्रगत्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं। गायों को भोजन कराना चाहिए तथा उनकी चरण को मस्तक पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य की वृध्दि होती है। क्या लाभ गौ पूजन के जानें जरा-


गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं । गौ माता में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है।
जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं। गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है। जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है।
गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है। जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते। गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है।
गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है। गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। गौ माता के एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है।
गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है। मनोकामना पूर्ण करने वाली है। गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है। गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है। किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है।
गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है। उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है। रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है। गौ माता सर्वो देवमयी सर्वोवेदमयी है।
गौ माता के बिना देवों वेदों की पूजा अधुरी है। एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है। गौ माता से ही मनुष्यों के गौत्र की स्थापना हुई है। गौ माता चौदह रत्नों में एक रत्न है।
गौ माता साक्षात् मां भवानी का रूप है। गौ माता के पंचगव्य के बिना पूजा पाठ हवन सफल नहीं होते हैं। गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं।
गौ माता को घर पर रखकर सेवा करने वाला सुखी आध्यात्मिक जीवन जीता है । उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। तन मन धन से जो मनुष्य गौ सेवा करता है। वो वैतरणी गौ माता की पुछ पकड कर पार करता है। उन्हें गौ लोकधाम में वास मिलता है।
गौ माता के गोबर से ईंधन तैयार होता है। गौ माता सभी देवी देवताओं मनुष्यों की आराध्य है। साकेत स्वर्ग इन्द्र लोक से भी उच्चा गौ लोक धाम है ।
गौ माता के बिना संसार की रचना अधुरी है। गौ माता में दिव्य शक्तियां होने से संसार का संतुलन बना रहता है। गाय माता के गौवंशो से भूमि को जोत कर की गई खेती सर्वश्रेष्ट खेती होती है। गौ माता जीवन भर दुध पिलाने वाली माता है।
काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो ध्यानपूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है।

गोपाष्टमी  की कथा
एक पौराणिक कथा अनुसार बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से गायों की सेवा करनी की इच्छा व्यक्त की कृष्ण कहते हैं कि माँ मुझे गाय चराने की अनुमति मिलनी चाहिए। उनके कहने पर शांडिल्य ऋषि द्वारा अच्छा समय देखकर उन्हें भी गाय चराने ले जाने दिया जो समय निकाला गया, वह गोपाष्टमी का शुभ दिन था। बालक कृष्ण ने गायों की पूजा करते हैं, प्रदक्षिणा करते हुए साष्टांग प्रणाम करते हैं। गोपाष्टमी के अवसर पर गऊशालाओं व गाय पालकों के यहां जाकर गायों की पूजा अर्चना की जाती है इसके लिए दीपक, गुड़, केला, लडडू, फूल माला, गंगाजल इत्यादि वस्तुओं से इनकी पूजा की जाती है। महिलाएं गऊओं से पहले श्री कृष्ण की पूजा कर गऊओं को तिलक लगाती हैं। गायों को हरा चारा, गुड़ इत्यादि खिलाया जाता है तथा सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। गोपाष्टमी पर गऊओं की पूजा भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय है तथा इनमें सभी देवताओं का वास माना जाता है। कईं स्थानों पर गोपाष्टमी के अवसर पर गायों की उपस्थिति में प्रभातफेरी सत्संग संपन्न होते हैं। गोपाष्टमी पर्व के उपलक्ष्य में जगह-जगह अन्नकूट भंडारे का आयोजन किया जाता है। भंडारे में श्रद्धालुओं ने अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते हैं। वहीं गोपाष्टमी पर्व की पूर्व संध्या पर शहर के कई मंदिरों में सत्संग-भजन का आयोजन भी किया जाता है। मंदिर में गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में रात्रि कीर्तन में श्रद्धालुओं ने भक्ति रचनाओं का रसपान करते हैं। इस मौके पर प्रवचन एवं भजन संध्या में उपस्थित श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। गो सेवा से जीवन धन्य हो जाता है तथा मनुष्य सदैव सुखी रहता है।
सास-बहू की टेंशन का कम करने के वास्तु टिप्स
करें ये 15 उपाय, नहीं रहेंगे कुंवारे, होगी जल्‍दी शादी
शनि की साढे़साती के अशुभ फलों के उपाय

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team