आपने अपने घर के मुख्य द्वार पर लगा रखा है बाकुआ दर्पण?

वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार आपकी तकदीर बदल सकता है। किस दिशा में और कैसा होना चाहिए मुख्य द्वार? कहते हैं घर के मुख्‍य द्वार पर बाकुआ दपर्ण लगाना भी शुभता लाता है। 


मुख्य प्रवेश द्वार बाहर की अपेक्षा अंदर खुलना चाहिए, नहीं तो रोग व अस्वस्थता बढ़ जाती है। यदि किवाड़ के जोड़ गडबड़ हां तो गृहस्वामी कई कष्ट झेलता है। पारिवारिक शांति भी भंग हो जाता है।
मुख्य प्रवेश द्वार बहुत बड़ा और बहुत ही संकरा/छोटा अशुभ होता है। इसका आकार घर के अनुपात में ही हाेने चाहिए। तुलना में बड़ा द्वार परिवार में मतभेद बढ़ाता है तथा इससे ‘‘ची’’ ऊर्जा भी सीमित होती है।
मुख्य प्रवेश द्वार, यदि पीछे का द्वार है, ता इसस आकार म कुछ बडा़ होना चाहिए अर्थात् पीछे द्वार छोटा होना चाहिये। इससे ‘ची’ ऊर्जा आसानी से घर में प्रवेश कर सके और कुछ देर ठहरे, उसके बाद ही बाहर जाये।
भवन के बाहर से देखने पर मुख्य प्रवेश द्वार की स्थिति भवन के बायीं ओर होनी चाहिए ताकि ड्रैगन द्वार की सुरक्षा कर सके।
भवन में आगे और पीछे के द्वार ठीक आमने-सामने नहीं होने चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करने के साथ ही बाहर निकल जायेगी। आगे और पीछे के द्वार के बीच में क्रिस्टल लटकाकर ‘‘ची’’ ऊर्जा को अधिक समय तक के लिये ठहराया जा सकता है।
मुख्य प्रवेश द्वार पर घर के मुखिया (गृह स्वामी) की नेम प्लेट लगाना अति शुभ होता है। मुख्य प्रवेश द्वार के आस-पास अंदर या बाहर के भाग में अखबार की रद़दी, कबाड़ या टूटा-फूटा सामान, जूते-चप्पल, झाडू़, डस्टबीन, आदि कम आवश्यक सामान न रखं, इसके रखने से जीवन में प्रगति रूक जाती है।
मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर स्वास्तिक या रंगोली या छोटे-छोटे पौधे गमले में लगाना शुभ रहता है। कांटे वाले पाध् जसै नागफनी, गुलाब तथा बौनसाई तथा बेल आदि पौधे न लगायें।
स्वास्तिक में अलग गणेश मूर्ति या अन्य शुभ संकेत चिह्न लगाना शुभ रहता है। इससे घर, बुरी नजरों से बचा रहता है। इसके लिये पाकुआ दर्पण का भी उपयोग कर सकते हैं।

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