क्यूं हैं सावन शिव का प्रिय महीना?
Astrology Articles I Posted on 31-07-2016 ,11:47:11 I by:
हमारे देश की परम्परायें हमें ईश्वर से जोडती हैं फिर उसमे एक दिन का
त्यौहार हो या महीने भर का जश्न। सभी का अपना एक महत्व हैं। यहां ऋतुओं को
भी पूजा जाता हैं। वर्षा ऋतु से ही चार महीने के त्यौहार शुरू हो जाते हैं
जिनका पालन सभी धर्म, जाति अपने मान्यताओं के अनुरूप करते हैं। उसी प्रकार
सावन का हिन्दू समाज में बहुत अधिक महत्व हैं। इसे कई विधियों एवम
परम्पराओं के रूप में देखा एवम पूजा जाता हैं।
सावन के महीना महत्त्व-श्रावण
यह हिंदी कैलेंडर में पांचवे स्थान पर आता हैं। यह वर्षा ऋतु में प्रारंभ
होता हैं। शिव जो को श्रावण का देवता कहा जाता हैं उन्हें इस माह में
भिन्न-भिन्न तरीकों से पूजा जाता हैं। पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं शिव
उपासना, व्रत, पवित्र नदियों में स्नान एवम शिव अभिषेक का महत्व हैं।
विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं। कई महिलायें पूरा सावन महीना
सूर्योदय के पूर्व स्नान कर उपवास रखती हैं। कुवारी कन्या अच्छे वर के लिए
इस माह में उपवास एवम शिव की पूजा करती हैं। विवाहित स्त्री पति के लिए
मंगल कामना करती हैं। भारत देश में पूरे उत्साह के साथ सावन महोत्सव मनाया
जाता हैं।
क्यूं हैं सावन शिव का प्रिय महीना?कहा जाता
हैं सावन भगवान शिव का अति प्रिय महीना होता हैं। इसके पीछे की मान्यता यह
हैं कि दक्ष पुत्री माता सति ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक
श्रापित जीवन जिया। उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में
जन्म लिया। पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन
महीने में कठोरतप किया जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी
की। अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना
अत्यंत प्रिय हैं। यही कारण हैं कि इस महीने कुमारी कन्या अच्छे वर के लिए
शिव जी से प्रार्थना करती हैं।
यह ही मान्यता हैं कि सावन के महीने में
भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था जहां अभिषेक कर
उनका स्वागत हुआ था इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं।
धार्मिक मान्यता-धार्मिक
मान्यतानुसार सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था जिसमे निकले हलाहल विष
को भगवान शिव ने ग्रहण किया जिस कारण उन्हें नील कंठ का नाम मिला और इस
प्रकार उन्होंने से श्रृष्टि को इस विष से बचाया। और सभी देवताओं ने उन पर
जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं।
वर्षा ऋतु
के चौमासा में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस वक्त पूरी
श्रृष्टि भगवान शिव के आधीन हो जाती हैं। अत: चौमासा में भगवान शिव को
प्रसन्न करने हेतु मनुष्य जाति कई प्रकार के धार्मिक कार्य, दान, उपवास
करती हैं।