यज्ञ से इन बीमारियों को कर सकते है दूर जानिए कैसे..
Astrology Articles I Posted on 07-07-2019 ,15:50:19 I by: vijay
यज्ञ, योग की
विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में संपन्न होती है। यह शुद्ध होने की
क्रिया है। यज्ञ भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। हिन्दू धर्म में जितना
महत्व यज्ञ को दिया गया है उतना ओर किसी को नहीं दिया गया।
हमारा कोई भी
शुभ अशुभ धर्म कार्य इसके बिना पूरा नहीं होता। जन्म से मृत्यु तक सभी
संस्कारों में यज्ञ आवश्यक है। यज्ञ पर्यावरण की शुद्धि का सर्वश्रेष्ठ
साधन है। यह वायुमंडल को शुद्ध रखता है। इसके द्वारा वातावरण शुद्ध व रोग
रहित रहता है। यज्ञ एक ऐसी औषधि है जो सुगंध भी देती है, तथा वातावरण को
रोग मुक्त करता है। इसे करने वाला व्यक्ति सदा रोगों से दूर व प्रसन्नचित
रहता है।
आज के युग में इतनी सुविधा होने पर भी कभी-कभी मानव कई संक्रमित
रोगाणुओं के आक्रमण से रोग ग्रसित हो जाता है और इन रोगों से छुटकारा पाने
के लिए उसे अनेक प्रकार की दवाईया लेनी होती है। लेकिन क्या आप जानते है कि
हवन, यज्ञ के जरिए बिना किसी कष्ट व पीड़ा के रोग के रोगाणुओं को नष्ट कर
मानव को शीघ्र निरोगी करने की क्षमता रखता है।
इस पर अनेक संधान भी हो चुके
है तथा पुस्तके भी प्रकाशित हो चुकी है। विज्ञान के अनुसंधनो के अनुरूप
यदि इस सामग्री के उपयोग से पूर्ण आस्था के साथ यज्ञ किया जाते तो निश्चित
ही लाभ होगा। आज हम आपको बताएंगे कि हवन, यज्ञ के जरिए कौन-कौनसी बीमारियों को
दूर किया जा सकता है। आइए जानते है।
कैंसर नाशक हवन...गुलर के फूल अशोक की छाल, अर्जन, की छाल, लोथ माजूफल,
दारुहल्दी, हल्दी, खोपरा, जो, चिकनी सुपारी, शतावरी, काकजंघा, मोचरस, खस
मंजिष्ठ, अनारदाना, सफ़ेद चन्दन, लाल चन्दन, गंधा विरोजा, नारवी, जामुन के
पत्ते, धाय के पत्ते सब को समान मात्रा में लेकर चूर्ण करे तथा इस में दस
गुना शक्कर, एक गुना केसर दिन में तीन बार हवन करे।
संधिगत ज्वर (जोड़ो का दर्द )...संभालू ( निर्गुन्डी) के पत्ते, गुग्गल, सफ़ेद सरसो, नीम के पत्ते, रल आदि का संभाग लेकर चूरन कर घी सहित हवन करे व धुनी दे।
जुकाम नाशक...खुरासानी, अजवाइन, जटामासी, पश्मीना कागज, लाल बुरा सब को संभाग ले घी सचूर्ण कर सहित हित हवन करे व धुनी दे।
पीनस (बिगड़ा) हुआ जुकाम)...बरगद के पत्ते, तुलसी के पत्ते, नीम
के पत्ते, सहजन की छाल, सब को संभाग मिला कर चूरन कर ले इस में धुप का
चुरा मिला कर हवन करे व धूनी दे।
श्वास- कास नाशक...बरगद के पत्ते, तुलसी के पत्ते, वच दोहकर मूल, अडसा- पत्र, सब का संभाग कर्ण लेकर घी सहित हवन कर धूनी दे।
टायफाइड...यह
एक मौसमी व भयानक रोग है। इस रोग के कारण इससे यथा समय उपचार न होने से
रोगी अत्यंत कमजोर हो जाता है तथा समय पर उपचार न होने पर मृत्यु भी हो
सकती है। उपवर्णित ग्रंथो के आधार पर यदि ऐसे रोगी के पास नीम,
चिरायता,पित्तपापदा, त्रिफला आदि जड़ी बूटियों को संभाग लेकर इन से हवन
किया जाये तथा इन का धुंआ रोगी को दिया जावे तो लाभ होगा।
मलेरिया...मलेरिया
भी भयानक पीड़ा देता है ऐसे रोगी को बचाने के लिए गुग्गल, लोवान, कपूर,
हल्दी, दारुहल्दी, अगर, वरवाडिंग, बालछद, जटामासी, देवदारु, बच कठु अजवायन,
नीम के पत्ते संभाग लेकर संभाग घी डाल हवन करे इस का धुंआ लाभ देगा।
बुरे दिनों को अच्छे दिनों में बदलने के लिए करें केवल ये 4 उपाय मिलेगी सरकारी नौकरी अगर करें ये खास उपाय नववर्ष में अपनी झोली में खुशियां भरने के लिए करें ये 6 उपाय