पानी में ऊँ लिखकर नहाने से होने लगेंगे वारे-न्यारे, नहीं रहेगी पैसों की कमी
Astrology Articles I Posted on 16-04-2017 ,14:03:39 I by: Amrit Varsha
ज्योतिष में धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जो अलग-अलग समय पर किए जाते हैं। नहाते समय करने के लिए एक उपाय बताया गया है। इस उपाय को सही विधि से हर रोज किया जाए तो निकट भविष्य में सकारात्मक फल प्राप्त हो सकते हैं।
प्रतिदिन नहाने से पहले बाल्टी में पानी भरें और इसके बाद अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) से पानी पर त्रिभुज का चिह्न बनाएं।
त्रिभुज बनाने के बाद एक अक्षर का बीज मंत्र ‘ह्रीं’ उसी चिह्न के बीच वाले स्थान पर लिखें। साथ ही, अपने इष्ट देवी-देवता से परेशानियों दूर करने की प्रार्थना करें।
शास्त्रों में दिन के सभी आवश्यक कार्यों के लिए अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं। नहाते समय भी हमें मंत्र जप करना चाहिए। स्नान करते समय किसी मंत्र का पाठ किया जा सकता है या कीर्तन या भजन या भगवान का नाम लिया जा सकता है। ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
नहाते समय इस मंत्र का जप करना श्रेष्ठ रहता है…
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
यदि कोई व्यक्ति किसी नदी में स्नान करता है तो उसे पानी पर ऊँ लिखकर पानी में तुरंत डुबकी मार लेना चाहिए। ऐसा करने से नदी स्नान का पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा भी समाप्त हो जाती है। इस उपाय से ग्रह दोष भी शांत होते हैं। यदि आपके ऊपर किसी की बुरी नजर है तो वह भी उतर जाती है।
1. स्नान करने के बाद लोग शुद्ध होकर पूजा-पाठ, जप आदि सारे काम करने के योग्य बनते हैं, इसलिए सुबह को ही स्नान कर लेना चाहिए।
2. शास्त्रों में कहा गया है कि स्नान करने से इन 10 गुणों की प्राप्ति होती है- रूप, तेज, बल, पवित्रता, आयु, आरोग्य, निर्लोभता, दु:स्वप्न का नाश, तप और मेधा।
3. लक्ष्मी (धन), पुष्टि व आरोग्य (स्वास्थ्य) चाहने वालों को हर मौसम में और हर दिन स्नान करना चाहिए।
4. शास्त्रों में कहा गया है कि सुबह स्नान करने से पाप का नाश होता है और पुण्य मिलता है. ऐसा कहा गया है कि सुबह नहाने वालों के पास भूत-प्रेत आदि नहीं फटकते हैं। इसलिए सुबह स्नान करना ही उचित है।
5. बीमारी की हालत में सिर के नीचे से ही स्नान करना चाहिए। गीले कपड़े से शरीर पोंछ लेना भी एक तरह का स्नान ही कहा गया है।
6. सुबह की लालिमा छाने से पहले ही स्नान लेना श्रेष्ठ माना गया है।
7. तेल लगाकर और देह को मल-मलकर नदी में नहाना मना है। इसकी जगह नदी से बाहर निकलकर तट पर ही शरीर साफ करके तब नदी में डुबकी लगाना उचित है।
8. जिन घाटों पर कपड़े धोए जाते हैं, वहां का जल अपवित्र माना गया है। इसलिए वहां से कुछ दूर हटकर ही नहाना चाहिए
9. नदी की धारा की ओर या सूर्य की ओर मुंह करके नहाना चाहिए। नदी में 3, 5, 7 या 12 डुबकि यां लगाना अच्छा बताया गया है।
10. पवित्र नदियों में कपड़े निचोड़ने की मनाही है। नदी में किसी तरह की गंदगी नहीं बहानी चाहिए।
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