नवरात्र में क्यों जलाते है अखंड ज्योत
Astrology Articles I Posted on 19-03-2018 ,15:57:01 I by: vijay
नवरात्र के पावन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की
पूजा बड़े ही प्रेम और भक्ति भाव से की जाती है। हर जगह उमंग और खुशियों का
संचार रहता है। माता सम्पूर्ण जगत को शक्ति, स्फूर्ति और विनम्रता प्रदान
करती हैं। इन नौ दिनों में अखंड जोत और दीपक का खास महत्व् है। यदि अखंड
दीपक को सही दिशा में रख दिया जाए तो जातक के बुरे ग्रह भी अच्छों में
बदलने लगते हैं।
सर्वप्रथम तो पूजन कक्ष साफ़-सुथरा हो, उसकी दीवारें
हल्के पीले, गुलाबी ,हरे जैसे आध्यात्मिक रंग की हो तो अच्छा है क्योंकि
ये रंग सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते है ।काले ,नीले और भूरे जैसे
तामसिक रंगों का प्रयोग पूजा कक्ष की दीवारों पर नहीं होना चाहिए।
वास्तुविज्ञान के अनुसार ईशान कोण यानि कि उत्तर-पूर्व दिशा को पूजा -पाठ
के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इसलिए नवरात्र काल में माता की प्रतिमा या कलश
की स्थापना इसी दिशा में करनी चाहिए।
यद्धपि देवी माँ का
क्षेत्र दक्षिण दिशा माना गया है इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते वक्त
आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे। शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी
जाने वाली पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से हमारी प्रज्ञा जागृत
होती है और दक्षिण दिशा की ओर मुख करने से आराधक को मानसिक शांति अनुभव
होती है।
अखंड दीप और पूजन सामग्री का रखें खास ध्यान-
अखंड दीप को पूजा स्थल के आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व में रखना शुभ होता है क्योंकि यह दिशा अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करती है।
आग्नेय कोण में अखंड ज्योति या दीपक रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा घर में सुख-समृद्धि का निवास होता है।
संध्याकाल में पूजन स्थल पर घी का दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, घर के सदस्यों को प्रसिद्धि मिलती है।
देवी
माँ के पूजन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री पूजन स्थल के आग्नेय कोण में
ही रखी जानी चाहिए। देवी माँ को लाल रंग अत्याधिक प्रिय है।
लाल रंग
को वास्तु में भी शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना गया है अतः माता को
अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, श्रृंगार की वस्तुएं एवं पुष्प यथासंभव लाल
रंग के ही होने चाहिए।
पूजा कक्ष के दरवाज़े पर सिन्दूर या रोली से दोनों तरफ स्वस्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं है।
वास्तुशास्त्र
के अनुसार शंख ध्वनि व घंटानाद करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और
आस-पास का वातावरण शुद्ध और पवित्र होकर मन-मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा
का संचार होता है।
माना जाता है कि नवरात्र के दिनों में
कन्याओं को देवी का रुप मानकर आदर-सत्कार करने से एवं नियमित भोजन कराने से
घर का वास्तुदोष दूर होता है ,परिवार पर सदैव माँ भगवती की कृपा बनी रहती
है।
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